• Skip to main content

Jac Board Solutions

Jac Board Solutions PDF Download

Jac Board

Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

February 21, 2021 by Jac Board Leave a Comment

Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार – Jac Board Solutions

Welcome to the official website of Jac Board Solutions. Here at this page Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार – Jac Board Solutions is given in PDF Format. The direct download links are given below on this page. You can find direct download links on this page.

Jharkhand Board Solutions Pdf Download

झारखण्ड बोर्ड सलूशन की ऑफिसियल वेबसाइट पर आपका स्वागत है | इस पेज पर झारखण्ड बोर्ड Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार – Jac Board Solutions का सलूशन (हल) दिया गया है | यह सलूशन latest pattern पर आधारित है | सभी पीडीऍफ़ फाइल्स का डाउनलोड नीचे पेज पर दिया गया है |

Jharkhand Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

अनुच्छेद 11.1 और 11.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है? (2011, 13, 15, 16)
उत्तर:
नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित करके निकट तथा दूरस्थ वस्तुओं को फोकसित कर लेता है, नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
अवतल लेंस।

प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनन्त पर तथा निकट बिंदु 25 cm पर होते हैं।

प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपटद पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
विद्यार्थी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित है। इस दृष्टि दोष को संशोधित करने के लिए उसे उचित फोकस दूरी वाले अवतल लेंस का चश्मा पहनना होगा।

Jac Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है।
ऐसा हो पाने का कारण है –
(a) जरा-दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर:
(b) समंजन

प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं, वह है –
(a) कॉर्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर:
(d) दृष्टिपटल

प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग –
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 cm

प्रश्न 4.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है –
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए – 5.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी
1. दूर की दृष्टि के लिए
2. निकट की दृष्टि के लिए?
हल:
1. दूर की दृष्टि के लिए
P =

1f\frac {1}{f}

f1​ (मीटर में)
f =

1p\frac {1}{p}

p1​ = –

15.5\frac {1}{5.5}

5.51​ =

1055\frac {10}{55}

5510​ =

−211\frac {-2}{11}

11−2​ m
f =

−211\frac {-2}{11}

11−2​ x 100 cm =

−20011\frac {-200}{11}

11−200​ cm
f = -18.2 cm = – 0.18 m
ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि लेंस अवतल है।

2. निकट की दृष्टि के लिए –
f =

1p\frac {1}{p}

p1​ =

11.5\frac {1}{1.5}

1.51​

1015\frac {10}{15}

1510​ x 100 cm =

23\frac {2}{3}

32​ x 100 cm
=

2003\frac {200}{3}

3200​ cm = 66.67 cm = + 0.67 m
धनात्मक चिह्न दर्शाता है कि लेंस उत्तल है।

प्रश्न 6.
किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा
क्षमता क्या होगी?
हल:
इस दोष के निवारण के लिए अवतल लेंस का प्रयोग करना होगा।
अतः
u = – ∞  υ = -80 cm, f = ?
सूत्र

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{ u}

u1​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​ से,

1−80\frac {1}{ -80}

−801​ –

1u\frac {1}{ u}

u1​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​
–

1f\frac {1}{ f}

f1​ =

180\frac {1}{80}

801​
अतः फोकस दूरी’ f =-80 cm = -0.8 m
लेन्स की क्षमता P =

1f\frac {1}{ f}

f1​ =

180\frac {1}{80}

801​ D = -1.25 D
अत: आवश्यक लेन्स की प्रकृति अपसारी तथा क्षमता -1.25 D है।

प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट-बिंदु 25 cm है।
हल:
दीर्घ-दृष्टि दोष का निवारण उत्तल लेंस से किया जाता है।
दिया है, υ = 1 m = -100 cm, u = -25 cm
सूत्र,

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{ u}

u1​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​ से,

1−100\frac {1}{-100}

−1001​ –

125\frac {1}{ 25}

251​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​

1+4100\frac {1 + 4}{100}

1001+4​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​

3100\frac {3}{ 100}

1003​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​
f =

1003\frac {100}{3}

3100​ cm
f =

1003100m\frac{\frac{100}{3}}{100} \mathrm{m}

1003100​​m या

1003\frac {100}{3}

3100​ x

1100\frac {1}{100}

1001​ m
f =

13\frac {1}{3}

31​ m
अब, क्षमता, P =

1f\frac {1}{ f}

f1​ (मीटर में)

1f\frac {1}{ f}

f1​ = m
P = +3D

(a) दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिंदु

(b) दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र

(c) दीर्घ-दृष्टि दोष का निवारण

प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते; क्योंकि 25 cm से निकट रखी वस्तुओं से आने वाली प्रकाश किरण नेत्र के रेटिना पर उचित प्रकार से फोकस नहीं हो पाती, जिस कारण वस्तु का धुंधला प्रतिबिंब बनता है और वह सुस्पष्ट नहीं दिखाई देती।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी अपरिवर्तित रहती है। ऐसा इसलिए होता है कि जब नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ाई जाती है तो पक्ष्माभी पेशियाँ नेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित कर देती हैं जिससे वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक तारे का प्रकाश निरंतर अपवर्तित होता रहता है। चूँकि वायुमंडल तारे के प्रकाश को अभिलंब की ओर झुका देता है, अतः तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती है और वे हमें टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर:
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास हैं और इसलिए उन्हें विस्तृत स्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु-साइज़ के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो सभी बिन्दु-साइज़ के प्रकाश-स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, इसी कारण टिमटिमाने का प्रभाव निष्प्रभावित हो जाता है।

प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय सूर्य क्षैतिज के निकट होता है इसलिए सूर्य से आने वाला अधिकांश नीला प्रकाश और कम तरंगदैर्घ्य का प्रकाश वायुमंडल में उपस्थित कणों द्वारा दूर प्रकीर्णित कर दिया जाता है। इस प्रकार हमारे नेत्रों तक जो प्रकाश पहुँचता है वह अधिक तरंगदैर्घ्य वाला होता है। यही घटना सूर्योदय के समय सूर्य को रक्ताभ प्रदान करती है।

प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है? (2016)
उत्तर:
हम जानते हैं कि अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं होता है जिस कारण वहाँ पर सूर्य का प्रकाश प्रकीर्णित नहीं होता है। यही कारण है कि अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।

Jac Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है
(a) कॉर्निया पर
(b) आइरिस पर
(c) पुतली पर
(d) रेटिना पर
उत्तर:
(d) रेटिना पर

प्रश्न 2.
नेत्र-लेंस होता है
(a) अभिसारी
(b) अपसारी
(c) अपसारी या अभिसारी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अभिसारी

प्रश्न 3. स्वस्थ आँख के लिए दूर-बिन्दु होता है (2011, 12, 15)
(a) 25 सेमी
(b) 50 सेमी
(c) 100 सेमी
(d) अनन्त पर
उत्तर:
(d) अनन्त पर।

प्रश्न 4.
स्वस्थ आँख के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी होती है स्वस्थ नेत्र का निकट बिन्दु होता है (2011)
या स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी है – (2014, 18)
(a) 25 सेमी पर
(b) 50 सेमी पर
(c) 100 सेमी पर
(d) अनन्त पर
उत्तर:
(a) 25 सेमी पर

प्रश्न 5.
निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु स्थित होता है (2013)
(a) 25 सेमी पर
(b) 25 सेमी से कम दूरी पर
(c) अनन्त पर
(d) अनन्त से कम दूरी पर
उत्तर:
(d) अनन्त से कम दूरी पर

प्रश्न 6.
दूर-दृष्टि दोष के कारण प्रतिबिम्ब बनता है – (2012)
(a) रेटिना पर
(b) रेटिना के पीछे
(c) रेटिना के आगे
(d) कहीं नहीं
उत्तर:
(b) रेटिना के पीछे

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य की आँख में रेटिना का क्या कार्य है ?
उत्तर:
मनुष्य की आँख में रेटिना का कार्य वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाना है।

प्रश्न 2.
निकट-दृष्टि दोष निवारण हेतु किस प्रकार के लेंस का प्रयोग किया जाता है ? (2011)
उत्तर:
उचित फोकस-दूरी के अवतल लेंस का।

प्रश्न 3.
दीर्घ दृष्टि दोष निवारण के लिए किस प्रकार के लेंस का उपयोग किया जाता है? (2011, 13, 14)
या दूर-दृष्टि दोष दूर करने के लिए चश्मे में किस प्रकार के लेंस का प्रयोग करना होगा?
उत्तर:
उचित फोकस दूरी के उत्तल लेंस का।

प्रश्न 4.
एक व्यक्ति के चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लेंस तथा निचले भाग में उत्तल लेंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-कौन से दोष हैं? (2018)
उत्तर:
मनुष्य की आँख में निकट-दृष्टि एवं दूर-दृष्टि दोनों दोष हैं।

प्रश्न 5.
एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में ., कौन-सा दोष है ? (2015)
उत्तर:
व्यक्ति की आँख में दूर-दृष्टि दोष है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य की आँख के निकट-बिन्दु तथा दूर-बिन्दु से क्या तात्पर्य है ? स्वस्थ आँख के लिए इनका मान लिखिए। (2015, 17)
उत्तर:
निकट-बिन्दु आँख के अधिक-से-अधिक निकट का वह बिन्दु जिसे आँख अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकती है; आँख का निकट-बिन्दु कहलाता है। स्वस्थ आँख के लिए यह दूरी 25 सेमी होती है। दूर-बिन्दु वह दूरतम बिन्दु जिसे आँख बिना समंजन क्षमता लगाये स्पष्ट देख सकती है, आँख का दूर-बिन्दु कहलाता है। सामान्य आँख के लिए यह अनन्त पर होता है।

प्रश्न 2.
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी किसे कहते हैं ? (2014)
उत्तर:
वह निकटतम बिन्दु जिसे आँख अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकती है, आँख का निकट-बिन्दु कहलाता है तथा आँख से इस बिन्दु की दूरी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। स्वस्थ आँख के लिए यह दूरी 25 सेमी होती है।

प्रश्न 3.
दृष्टि दोष क्या है ? इसके प्रकार लिखिए। (2013)
उत्तर:
जब नेत्र में प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे या पीछे बनता है तब वस्तु स्पष्ट नजर नहीं आती। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब नेत्र की समंजन क्षमता प्रतिबिम्ब को रेटिना पर बनाने के लिए कम हो जाती है या पूर्णत: समाप्त हो जाती है। इसी को दृष्टि दोष कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है –
1. निकट-दृष्टि दोष
2. दूर-दृष्टि दोष।

प्रश्न 4.
दूर-दृष्टि दोष किसे कहते हैं ? इस दोष के निवारण के लिए किस प्रकार का लेंस प्रयुक्त किया जाता है ? किरण-आरेख द्वारा समझाइए। (2012, 15, 16, 17, 18)
दूर-दृष्टि दोष से क्या तात्पर्य है? इसका निवारण किस प्रकार किया जा सकता है? (2011, 15, 16)
उत्तर:
इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखायी देती हैं, परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी नहीं देतीं। यह दोष निम्नलिखित दो कारणों में से किसी एक कारण से हो सकता
1. नेत्र-लेंस की वक्रता कम हो जाए, जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।
2. नेत्र-लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए अर्थात् नेत्र के गोलक का व्यास कम हो जाए।

इस दृष्टि दोष वाले व्यक्ति का निकट बिन्दु 25 सेमी के स्थान पर अधिक दूरी पर हो जाता है। इस कारण 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना F पर न बनकर रेटिना के पीछे A पर बनता है [देखें चित्र (a)]| दूर-दृष्टि दोष का निवारण इस दोष के निवारण के लिए ऐसे अभिसारी (उत्तल) लेंस की आवश्यकता होगी, जो 25 सेमी दूर-बिन्दु S पर रखी वस्तु (किताब) से आने वाली किरणों को इतना अभिसरित कर दे कि किरणें दूषित आँख के निकट-बिन्दु N से आती हुई नेत्र-लेंस पर आपतित हों तथा प्रतिबिम्ब रेटिना R पर बने [देखें चित्र (b)]। इस प्रकार S पर रखी वस्तु भी आँख को स्पष्ट दिखायी देगी।

प्रश्न 5.
निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं ? इस दोष के क्या कारण हैं? इसके निवारण के लिए किस प्रकार का लेंस प्रयुक्त किया जाता है ? किरण-आरेख द्वारा समझाइए। (2009, 12, 14, 16, 17, 18) या निकट दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
निकट-दृष्टि दोष वाले व्यक्ति को पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी देती हैं; परन्तु अधिक दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी नहीं देती अर्थात् नेत्र का दूर-बिन्दु अनन्त पर न होकर कम दूरी पर आ जाता है। इस दोष के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
1. नेत्र-लेंस की वक्रता बढ़ जाए जिससे उसकी फोकस दूरी कम हो जाए।
2. नेत्र-लेंस और रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाए अर्थात् नेत्र के गोलक का व्यास बढ़ जाए।

इस दोष के कारण दूर की वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना व नेत्र-लेंस के बीच P पर बन जाने से [देखें चित्र (a)] प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं दिखता। ऐसे मनुष्य का दूर-बिन्दु अनन्त पर न होकर आँख के काफी पास F पर होता है तथा निकट बिन्दु भी 25 सेमी से कम दूरी पर होता है। निकट-दृष्टि दोष का निवारण निकट-दृष्टि दोष में नेत्र का दूर-बिन्दु F अनन्त से कम दूरी पर ऐसी स्थिति में होता है; जहाँ से चलने वाली किरणें बिना समंजन क्षमता लगाये रेटिना पर मिलती हैं देखें चित्र (b)]।

इस दोष को दूर करने के लिए ऐसे अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है कि अनन्तता पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर, नेत्र के दूर-बिन्दु F से चली हुई प्रतीत हों। तब ये किरणें नेत्र-लेंस से अपवर्तित होकर रेटिना F पर मिलती हैं; जहाँ वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब बन जाता है तथा वस्तु स्पष्ट दिखायी देने लगती है।

प्रश्न 6.
37.5 सेमी फोकस दूरी के अवतल लेंस की सहायता से 25 सेमी दूर रखी पुस्तक पढ़ने वाले व्यक्ति की दृष्टि में कौन-सा दोष होगा? उसकी आँख से कितनी दूरी पर प्रतिबिम्ब बनेगा? (2009)
हल:
दिया है : f = – 37.5 सेमी (चूँकि लेंस अवतल है) मनुष्य अवतल लेंस की सहायता से पुस्तक को 25 सेमी दूर रखकर स्पष्ट पढ़ सकता है। अत: यदि मनुष्य बिना लेंस के पुस्तक को दूरी पर रखकर पढ़ सकता है, तो लेंस 25 सेमी की दूरी पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब υ दूरी पर बनाता है; अत: u = – 25 सेमी, υ = ?
लेंस का सत्र =

1f\frac {1}{f}

f1​ –

1υ\frac {1}{ υ}

υ1​ =

1u\frac {1}{ u}

u1​ से

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

1f\frac {1}{ f}

f1​ –

1u\frac {1}{ u}

u1​
=

1−37.5\frac {1}{-37.5}

−37.51​ –

125\frac {1}{25}

251​ = –

275\frac {2}{75}

752​ –

125\frac {1}{ 25}

251​
=

−2−375\frac {-2-3}{ 75}

75−2−3​ =

−575\frac {-5}{75}

75−5​
υ = –

755\frac {75}{5}

575​ = -15 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब 15 सेमी की दूरी पर बनेगा। पुन: चूँकि वह अवतल लेंस का प्रयोग करता है, अत: व्यक्ति की दृष्टि में निकट दृष्टि दोष है।

प्रश्न 7.
एक निकट दृष्टि दोष वाला मनुष्य अपनी आँख से 10 मीटर से दर की वस्तओं को स्पष्ट नहीं देख सकता। अनन्त पर स्थित किसी वस्तु को देखने के लिए कितनी फोकस दूरी, प्रकृति व क्षमता वाले लेंस की आवश्यकता होगी? (2009, 12, 13, 14, 15, 17)
हल:
इस दोष के निवारण के लिए व्यक्ति को ऐसे लेंस का उपयोग करना होगा, जो अनन्त पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 10 मीटर की दूरी पर बना सके, अर्थात् = -10, υ = -10 मीटर =1000 सेमी

लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ –

1υ\frac {1}{ υ}

υ1​ =

1u\frac {1}{ u}

u1​ से

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1−1000\frac {1}{-1000}

−10001​ –

1−r\frac {1}{-r}

−r1​
या

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1−1000\frac {1}{-1000}

−10001​
f = -100 सेमी = – 10 मीटर
तथा लेंस की क्षमता =

= – 0.1 D
चूँकि लेंस की क्षमता ऋणात्मक है; अत: लेंस अवतल होगा।

प्रश्न 8.
एक निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति 15 सेमी दूर स्थित पुस्तक को स्पष्टतः पढ़ सकता है। पुस्तक को 25 सेमी दूर रखकर पढ़ने के लिए उसे कैसा और कितनी फोकस-दूरी का लेंस अपने चश्मे में प्रयुक्त करना पड़ेगा? (2009)
हल:
इस व्यक्ति को ऐसी फोकस-दूरी के लेंस का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि पुस्तक को 25 सेमी दूर रखने पर उसका प्रतिबिम्ब चश्मे से 15 सेमी की दूरी पर बने अर्थात्
u = – 25 सेमी (उचित चिह्न सहित), υ = – 15 सेमी (उचित चिह्न सहित)
लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ –

1υ\frac {1}{ υ}

υ1​ =

1u\frac {1}{ u}

u1​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1−15\frac {1}{ -15}

−151​ –

1(−25)\frac {1}{ (-25)}

(−25)1​ =

1−15\frac {1}{ -15}

−151​ +

1(−25)\frac {1}{ (-25)}

(−25)1​

1f\frac {1}{f}

f1​ =

−10+6150\frac {-10 + 6}{150}

150−10+6​ =

4150\frac {4}{150}

1504​ = –

275\frac {2}{75 }

752​
f =

752\frac {75}{2}

275​ = – 37.5 सेमी
चूँकि फोकस-दूरी ऋणात्मक है, अत: उसे 37.5 सेमी फोकस दूरी के अवतल लेंस का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 9.
एक मनुष्य चश्मा पहनकर 25 सेमी दूरी पर रखी पुस्तक पढ़ सकता है। चश्मे में प्रयुक्त लेंस की क्षमता – 2.0 D है। यह मनुष्य बिना चश्मा लगाये हुए पुस्तक को कितनी दूर रखकर पढ़ेगा? हल-इस चश्मे के द्वारा मनुष्य की आँख से 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब उस स्थान पर बनेगाः जहाँ बिना चश्मा लगाये वह पुस्तक को रखकर पढ़ सकता है। माना यह दूरी ५ है तथा u = – 25 सेमी।
:: P =

1f\frac {1}{f}

f1​ या – 2 =

1f\frac {1}{f}

f1​ या -2f = 1 म
या f =

12\frac {1}{2}

21​ सेमी या f = – 50 सेमी
लेंस के सूत्र

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{ u}

u1​ =

1f\frac {1}{f}

f1​ से,

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1(−25)\frac {1}{ (-25)}

(−25)1​ =

1(−50)\frac {1}{(-50)}

(−50)1​ या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

125\frac {1}{ 25}

251​ = –

150\frac {1}{50}

501​
या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ = –

150\frac {1}{50}

501​ –

125\frac {1}{25}

251​ या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

−1−250\frac {-1-2}{ 50}

50−1−2​ =

−350\frac {-3}{50}

50−3​
υ =

503\frac {50}{3}

350​ = – 16.7 सेमी
अत: वह बिना चश्मा लगाये 16.7 सेमी की दूरी पर आँख के सामने रखी पुस्तक को पढ़ सकता है।

प्रश्न 10.
दूर दृष्टि दोष से पीड़ित एक मनुष्य के निकट बिन्दु की दूरी 0.40 मीटर है अर्थात् वह कम से कम 40 सेमी की दूरी तक देख सकता है। इस दोष के निवारण हेतु उपयोग में लाये गये लेंस की प्रकृति बताइए तथा फोकस दूरी व क्षमता का परिकलन कीजिए। स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी है। (2009, 12, 13, 14)
हल:
इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग करना चाहिए। इस व्यक्ति द्वारा प्रयोग किये गये उत्तल लेंस की फोकस-दूरी इतनी होनी चाहिए जिससे कि 25 सेमी दूरी पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख के सामने 0.40 मीटर अर्थात् 40 सेमी पर बने। अर्थात् u = – 25 सेमी (उचित चिह्न सहित) υ = – 40 सेमी (उचित चिह्न सहित)
लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{ υ}

υ1​ =

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1−40\frac {1}{ -40}

−401​ –

1−25\frac {1}{-25}

−251​
=-

140\frac {1}{40}

401​ +

125\frac {1}{ 25}

251​ =

−5+8200\frac {-5+ 8}{200}

200−5+8​ =

3200\frac {3}{ 200}

2003​
या लेंस की फोकस दूरी f =

2003\frac {200}{3}

3200​ = 66.7 सेमी
लेंस की क्षमता =

10066.7\frac {100}{66.7}

66.7100​ = 1.5 डायोप्टर

प्रश्न 11.
वर्णान्धता से आप क्या समझते हैं? (2015)
उत्तर:
नेत्र में यह ऐसा दोष होता है जिसके कारण मनुष्य कुछ निश्चित रंगों में अन्तर नहीं कर पाता। यह दोष एक आनुवंशिक दोष है जो जन्मजात होता है। इसका कोई उपचार नहीं है। जिन व्यक्तियों में यह दोष होता है, वे सामान्यत: देख तो ठीक सकते हैं परन्तु ये विभिन्न रंगों में अन्तर नहीं कर सकते।

प्रश्न 12.
प्रकाश के प्रकीर्णन को समझाइए। किस रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम किसका सबसे अधिक होता है ? (2011, 12, 16, 18)
उत्तर:
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें अति सूक्ष्म आकार के कण (जैसे-धूल व धुएँ के कण, वायु के अणु) विद्यमान हों तो इन कणों के द्वारा प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में फैल जाता है। इस घटना को ‘प्रकाश का प्रकीर्णन’ कहते हैं। प्रयोग द्वारा ज्ञात हुआ है कि लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन ‘सबसे अधिक होता है।

प्रश्ना13.
हीरा क्यों चमकता है ? (2014)
उत्तर:
हीरे से वायु में आने वाली किरण के लिए क्रान्तिक कोण बहुत कम, केवल 24° होता है। अत: जब बाहर का प्रकाश किसी कटे हुए हीरे में प्रवेश करता है तो वह उसके भीतर विभिन्न तलों पर बार-बार पूर्ण परावर्तित होता रहता है। जब किसी तल पर आपतन कोण 24° से कम हो जाता है, तब ही प्रकाश हीरे से बाहर आ पाता है। इस प्रकार हीरे में सभी दिशाओं से प्रवेश करने वाला प्रकाश केवल कुछ ही दिशाओं में हीरे से बाहर निकलता है। अत: इन दिशाओं से देखने पर हीरा अत्यन्त चमकदार दिखाई देता है।

प्रश्न 14.
मरीचिका से क्या तात्पर्य है? (2014)
या रेगिस्तान में मरीचिका दिखाई देती है। कारण स्पष्ट कीजिए। (2016, 17)
उत्तर:
कभी-कभी रेगिस्तान में यात्रियों को दूर से पेड़ के साथ-साथ उसका उल्टा प्रतिबिम्ब भी दिखाई देता है। अतः इन्हें ऐसा भ्रम हो जाता है कि वहाँ कोई जल का तालाब है जिसमें पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा है। परन्तु वास्तव में वहाँ तालाब नहीं होता है। जब सूर्य की गर्मी से रेगिस्तान का रेत गर्म होता है ठण्डी वायु – तो उसे छूकर पृथ्वी के पास की वायु अधिक गर्म (सघन) FAR हो जाती है। इससे कुछ ऊपर तक वाय की परतों का ताप लगातार घटता जाता है। अत: वायु की गर्म वायु – नीचे वाली परतें अपेक्षाकृत विरल होती हैं। जब (विरल) पेड़ से प्रकाश-किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं तो उन्हें अधिकाधिक विरल परतों से होकर आना पड़ता है, इसलिए प्रत्येक परत पर अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है।

अत: प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण बढ़ता जाता है तथा किसी विशेष परत पर क्रान्तिक कोण से चित्र बड़ा हो जाता है। इस परत पर किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की ओर चलने लगती है। चूँकि ऊपर वाली परतें अधिकाधिक सघन हैं, अत: ऊपर उठती हुई किरण अभिलम्ब की ओर झुकती जाती है। जब यह किरण यात्री की आँख में प्रवेश करती है तो पृथ्वी के नीचे से आती प्रतीत होती है तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।

प्रश्न 15.
सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य लाल क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर:
उगते अथवा डूबते सूर्य की किरणें वायुमण्डल में काफी अधिक दूरी तय करके हमारी आँख में पहुँचती हैं। इन किरणों का मार्ग में धूल के कणों तथा वायु के अणुओं द्वारा बहुत अधिक प्रकीर्णन होता है। इस प्रकीर्णन के कारण सूर्य के प्रकाश में से नीली व बैंगनी किरणें निकल जाती हैं, क्योंकि इन किरणों का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। अत: आँख में विशेष रूप से शेष लाल किरणें ही पहुँचती हैं जिसके कारण सर्य लाल दिखाई देता है। दोपहर के समय जब सर्य सिर के ऊपर होता है तब किरणें वायुमण्डल में अपेक्षाकृत बहुत कम दूरी तय करती हैं। अतः प्रकीर्णन कम होता है और लगभग सभी रंगों की किरणें आँख तक पहुँच जाती हैं। अत: सूर्य श्वेत दिखाई देता है।

प्रश्न 16.
पृथ्वी से आकाश का रंग हल्का नीला क्यों दिखाई देता है ? समझाइये। (2013)
या चन्द्रमा से देखने पर आकाश किस रंग का दिखाई देता है? (2017)
उत्तर:
सूर्य से आने वाला प्रकाश, जिसमें अनेक रंग होते हैं, जब वायुमण्डल में को होकर गुजरता है तो वायु के अणुओं एवं धूल के महीन कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन होता है। बैंगनी व नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश की अपेक्षा लगभग 16 गुना अधिक होता है। अत: नीला व बैंगनी प्रकाश चारों ओर बिखर जाता है। यह बिखरा हुआ प्रकाश हमारी आँख में पहुँचता है तथा हमें आकाश नीला दिखाई देता है।

यदि वायुमण्डल न होता (चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं होता) तो सूर्य के प्रकाश का मार्ग में प्रकीर्णन नहीं होता तथा हमें आकाश काला (dark) दिखाई देता। यही कारण है कि चन्द्रमा के तल से देखने पर आकाश काला दिखाई पड़ता है। अन्तरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर पहुँचने पर आकाश काला ही दिखाई देता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए। किसी वस्तु का मानव नेत्र से प्रतिबिम्ब बनना किरण आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए। (2010)
या मानव नेत्र का नामांकित चित्र बनाइए तथा रेटिना पर प्रतिबिम्ब का बनना किरण आरेख द्वारा समझाइए। (2010, 11, 12, 17)
या मानव नेत्र का चित्र बनाकर विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव नेत्र एक प्रकार का कैमरा है। इसके द्वारा फोटो कैमरे की भाँति वस्तुओं के वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनते हैं।

मानव नेत्र का गोलक (Eye-ball) यह लगभग गोलाकार पिण्ड है, जो सामने के भाग को छोड़कर चारों ओर से दृढ़ अपारदर्शी परत से ढका होता है। इसके प्रमुख अवयव निम्नलिखित हैं –
1. दृढ़-पटल तथा रक्तक-पटल (Sclerotic and Choroid) नेत्र-गोलक की बाहरी अपारदर्शी कठोर परत को दृढ़-पटल कहते हैं। यह श्वेत होता है। दृढ़-पटल नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा करता है। इसके भीतरी पृष्ठ से लगी काले रंग की झिल्ली होती है, जिसे रक्तक-पटल कहते हैं।

2. कॉर्निया (Cornea) नेत्र-गोलक के सामने का भाग कुछ उभरा हुआ तथा पारदर्शी होता है। इसे कॉर्निया कहते हैं। प्रकाश इसी भाग से नेत्र में प्रवेश करता है।

3. आइरिस (Iris) कॉर्निया के पीछे की ओर रंगीन (काली, भूरी अथवा नीली) अपारदर्शी झिल्ली का एक पर्दा होता है; जिसे आइरिस कहते हैं। इसके बीच में एक छिद्र होता है, जिसे पुतली (pupil) कहते हैं। आइरिस का कार्य नेत्र में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियन्त्रित करना है। अधिक प्रकाश में यह संकुचित होकर पुतली को छोटा कर देती है तथा कम प्रकाश में पुतली को फैला देती है जिससे नेत्र में जाने वाले प्रकाश की मात्रा बढ़ जाती है। नेत्र में यह क्रिया स्वत: होती है।

4.  नेत्र-लेंस (Eye-lens) पुतली के पीछे पारदर्शी ऊतकों (tissues) का बना द्वि-उत्तल लेंस होता है, जिसके द्वारा बाहरी वस्तुओं का उल्टा, छोटा तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब लेंस के पीछे दृश्य-पटल (retina) पर बनता है। लेंस, मांसपेशियों की एक विशेष प्रणाली, जिसे सिलियरी प्रणाली (ciliary system) कहते हैं, द्वारा टिका रहता है। ये पेशियाँ लेंस पर उपयुक्त दाब डालकर उसके पृष्ठों की वक्रता को बढ़ा-घटा सकती हैं, जिससे लेंस की फोकस दूरी कम या अधिक हो जाती है। इन पेशियों द्वारा लेंस पर ठीक उतना दाब पड़ता है कि बाहरी वस्तु का प्रतिबिम्ब दृश्य-पटल पर स्पष्ट बने।

5. दृष्टि-पटल (Retina) नेत्र-गोलक के भीतर पीछे की ओर रक्तक-पटल के ऊपर पारदर्शी झिल्ली दृष्टि-पटल (रेटिना) होती है। इस परदे पर विशेष प्रकार की तन्त्रिकाओं (nerves) के सिरे होते हैं, जिन पर प्रकाश पड़ने से संवेदन उत्पन्न होते हैं। यह संवेदन तन्त्रिकाओं के एक समूह, जिसे दृष्टि-तन्त्रिका (optic nerve) कहते हैं, के द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचते हैं।

6. जलीय द्रव तथा कांचाभ द्रव (Aqueous Humor and Vitreous Humor) कॉर्निया तथा नेत्र-लेंस के बीच के स्थान में जल के समान द्रव भरा होता है, जो अत्यन्त पारदर्शी तथा 1.336 अपवर्तनांक का होता है। इसे जलीय द्रव कहते हैं। इसी प्रकार लेंस के पीछे दृश्य-पटल तक का स्थान एक गाढ़े, पारदर्शी एवं उच्च अपवर्तनांक के द्रव से भरा होता है। इसे कांचाभ द्रव कहते हैं। ये दोनों द्रव प्रकाश के अपवर्तन में लेंस की सहायता करते हैं।

7.  पीत बिन्दु (Yellow Spot) दृष्टि-पटल के मध्य में पीला भाग होता है; जिस पर बना प्रतिबिम्ब बहुत ही स्पष्ट होता है।

8. अन्ध बिन्दु (Blind Spot) दृष्टि-पटल के जिस स्थान को छेदकर दृष्टि तन्त्रिकाएँ मस्तिष्क को जाती हैं; उस स्थान पर पड़ने वाले प्रकाश का दृष्टि-पटल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस स्थान को अन्ध बिन्दु कहते हैं।

मानव नेत्र से प्रतिबिम्ब बनना नेत्र के सामने रखी किसी वस्तु से चली प्रकाश की किरणें कॉर्निया पर गिरती हैं तथा अपवर्तित होकर नेत्र में प्रवेश करती हैं। फिर ये क्रमशः जलीय द्रव, लेंस व कांचाभ द्रव में से होती हुई रेटिना पर गिरती हैं; जहाँ वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है। प्रतिबिम्ब बनने का सन्देश दुक तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क में पहुँचता है; जिससे यह प्रतिबिम्ब अनुभव के आधार पर सीधा दिखायी देता है।

प्रश्न 2.
प्रिज्म क्या है ? किसी प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन समझाइए। या प्रिज्म क्या है? प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन समझाइए तथा प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक के लिए व्यंजक लिखिए। (2009)
उत्तर:
प्रिज्म प्रिज्म किसी पारदर्शी माध्यम के उस भाग को कहते हैं जो कि किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों के बीच में स्थित होता है। इन पृष्ठों को ‘अपवर्तक पृष्ठ’ तथा इनके बीच के कोण को ‘अपवर्तक कोण’ कहते हैं। दोनों पृष्ठों को मिलाने वाली रेखा को ‘अपवर्तक कोर’ कहते हैं। प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन माना कि ABC (देखें चित्र) काँच के एक प्रिज्म का मुख्य-परिच्छेद है। कोण BAC अपवर्तक कोण है तथा वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक ang है। माना कि आपतित । किरण PQ, प्रिज्म के पृष्ठ AB के बिन्दु Q पर गिरती है।

इस पृष्ठ पर किरण अपवर्तन के पश्चात् Q पर खींचे गये अभिलम्ब की ओर झुक कर QR दिशा में चली जाती है। किरण QR पृष्ठ AC पर अपवर्तन के पश्चात् R पर खींचे P गये अभिलम्ब से दूर हट कर, RS दिशा में बाहर निकलती है। स्पष्ट है कि प्रिज्म, PQ दिशा में आने वाली किरण को RS दिशा में विचलित कर देता है। इस प्रकार यह प्रकाश की दिशा में विचलन (deviation) उत्पन्न कर देता है। आपतित किरण PQ को आगे तथा निर्गत किरण RS को पीछे बढ़ाने पर वे बिन्दु D पर काटती हैं। इन दोनों किरणों के बीच बना कोण δ (डेल्टा) ‘विचलन कोण’ (angle of deviation) कहलाता है।


यदि हम प्रिज्म पर गिरने वाली किरण के आपतन कोण i को बढ़ाते जाएँ तो विचलन कोण δ का मान घटता जाता है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए विचलन कोण न्यूनतम हो जाता है। आपतन कोण और बढ़ाने पर विचलन कोण फिर बढ़ने लगता है।

इस प्रकार एक, और केवल एक ही, विशेष आपतन कोण के लिए विचलन कोण न्यूनतम होता है। इस न्यूनतम विचलन कोण को ‘अल्पतम विचलन कोण’ (angle of minimum deviation) कहते हैं। यदि किसी प्रिज्म का कोण A तथा किसी रंग की किरण के लिए अल्पतम विचलन कोण δ. हो, तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक

प्रश्न 3.
वर्ण विक्षेपण से क्या तात्पर्य है। उदाहरण देकर समझाइए। (2011, 17)
एक किरण आरेख द्वारा प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के विक्षेपण को समझाइए। (2016, 17)
या प्रिज्म में श्वेत प्रकाश के गुजरने पर न्यूनतम व अधिकतम विचलन किन रंगों का होता (2018)
उत्तर:
प्रकाश का विक्षेपण जब सूर्य के प्रकाश की संकीर्ण प्रकाश-पुंज को प्रिज्म के एक फलक पर डाला जाता है, तो प्रिज्म के दूसरे पटल या फलक से निर्गत प्रकाश सात रंगों में विभाजित हो जाता है तथा इसे पर्दे पर लेने पर सात रंगों की एक पट्टी प्राप्त होती है। प्रकाश का इस प्रकार सात रंगों में विभाजित होना प्रकाश का विक्षेपण या वर्ण-विक्षेपण कहलाता है। प्रकाश के विक्षेपण के दौरान पर्दे पर प्राप्त विशेष क्रम में सात रंगों की पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते हैं; जिसका अर्थ है रंगों का मिश्रण।


श्वेत प्रकाश के विक्षेपण के दौरान प्राप्त सात रंगों में एक क्रम होता है जो इस प्रकार है, नीचे से ऊपर की ओर बैंगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा लाल (Red)। इन रंगों के क्रम को याद रखने के लिए शब्द ‘VIBGYOR’ को याद रखें; जो इन रंगों के अंग्रेजी भाषा के शब्दों के पहले अक्षर से बना है।

परिक्षेपण का कारण यह है कि विभिन्न रंगों के प्रकाश का अपवर्तन भिन्न-भिन्न होता है। बैंगनी प्रकाश का अपवर्तन (विचलन) सबसे अधिक तथा लाल प्रकाश का अपवर्तन (विचलन) सबसे कम होता है। इसी कारण बैंगनी रंग स्पेक्ट्रम में सबसे नीचे तथा लाल रंग स्पेक्ट्रम में सबसे ऊपर प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
आवश्यक किरण आरेख खींचकर प्रिज्म की सहायता से पुष्टि कीजिए कि सूर्य का श्वेत प्रकाश विभिन्न रंगों का सम्मिश्रण है। (2016)
उत्तर:
किसी झिरों से आते हुए सूर्य के प्रकाश को यदि किसी प्रिज्म में से गुजारा जाए, तो प्रिज्म के दूसरी ओर रखे पर्दे पर वर्णक्रम (spectrum) प्राप्त होता है। इस वर्णक्रम में प्रिज्म के आधार की ओर से बैंगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) और लाल (Red) रंग प्राप्त होते हैं। प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश के स्पेक्ट्रम प्राप्त होने के दो कारण हो सकते हैं –
1. सूर्य का प्रकाश विभिन्न रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। प्रिज्म इन रंगों को अलग-अलग कर देता है।
2. प्रिज्म अपने में से गुजरने वाले प्रकाश को विभिन्न रंगों में रंग देता है। इसके लिए निम्नलिखित प्रयोग करते हैं –

यदि हम एक प्रिज्म पर सूर्य के प्रकाश की पतली किरण डालें तथा पर्दे के स्थान पर वैसा ही दूसरा प्रिज्म उल्टा करके इस प्रकार रखें कि उनके संलग्न फलक समान्तर हों, तो दूसरे प्रिज्म से बाहर निकलने वाला प्रकाश पुनः श्वेत हो जाता है। इस प्रयोग में पहले प्रिज्म द्वारा अलग-अलग किये गये रंगों को दूसरे प्रिज्म ने पुन: जोड़ दिया जिससे श्वेत प्रकाश बन गया। यदि प्रिज्म प्रकाश को रँगता, तो दूसरे प्रिज्म से श्वेत प्रकाश न निकलता बल्कि और रंग निकलते। इससे सिद्ध होता है कि श्वेत प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है। प्रिज्म श्वेत प्रकाश को केवल अवयवी रंगों में विभक्त कर देता है।

Thanks! for visiting the official website of Jharkhand Board Solutions (JacBoardSolutions.in). Jai Hind!

Filed Under: Uncategorized

Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

February 21, 2021 by Jac Board Leave a Comment

Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन – Jac Board Solutions

Welcome to the official website of Jac Board Solutions. Here at this page Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन – Jac Board Solutions is given in PDF Format. The direct download links are given below on this page. You can find direct download links on this page.

Jharkhand Board Solutions Pdf Download

झारखण्ड बोर्ड सलूशन की ऑफिसियल वेबसाइट पर आपका स्वागत है | इस पेज पर झारखण्ड बोर्ड Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन – Jac Board Solutions का सलूशन (हल) दिया गया है | यह सलूशन latest pattern पर आधारित है | सभी पीडीऍफ़ फाइल्स का डाउनलोड नीचे पेज पर दिया गया है |

Jharkhand Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

अनुच्छेद 16.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते
उत्तर:
हम कई तरीकों से और अधिक पर्यावरण-मित्र बन सकते हैं; जैसे-हम तीन ‘R’ जैसी कहावतों पर काम कर सकते हैं, अर्थात् उपयोग कम करना, पुनः चक्रण तथा पुनः उपयोग। इन कहावतों को अपनी आदतों में शामिल करके हम और अधिक पर्यावरण-मित्र बन सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
इससे यह लाभ हो सकता है कि बिना किसी उत्तरदायित्व के अधिक-से-अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
कम-उद्देश्य में परियोजनाओं का एकमात्र लाभ है कि संसाधनों के अधिक-से-अधिक दोहन द्वारा हम अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करते हैं। इन योजनाओं के तहत भावी पीढ़ियों के लिए हमारा . कोई उत्तरदायित्व ध्यान में नहीं होता। दूसरी तरफ, लंबी अवधि की योजनाओं का उद्देश्य संसाधनों का संपोषित विकास के लिए उपयोग करते हुए, आने वाली पीढ़ियों के उपयोग के लिए भी उन्हें सुरक्षित रखना होता है।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:
हमारी धरती सभी के लिए उपलब्ध है। सभी प्राणियों का इसके संसाधनों पर समान अधिकार है। यदि कोई व्यक्ति इन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग कर रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि किसी को इसकी कमी झेलनी पड़ रही होगी। फलतः एक संघर्ष शुरू होता है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। किंतु मुट्ठी भर कुछ अमीर और शक्तिशाली लोग हैं जो संसाधनों का समान वितरण नहीं चाहते। वे इन संसाधनों को अपने लिए लाभ के एक विशाल स्रोत के रूप में देखते हैं।

अनुच्छेद 16.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
वन जैव विविधता के तप्त स्थल हैं। किसी क्षेत्र की जैव विविधता को जानने का एक तरीका वहाँ पाए जाने वाली प्रजातियों की संख्या है। हालाँकि अनेक प्रकार के जीवों (बैक्टीरिया, कवक, फर्न, फूल वाले पौधे, कीड़े, केंचुआ, पक्षी, सरीसृप आदि) का होना भी महत्त्वपूर्ण है। संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य विरासत से प्राप्त जैव विविधताओं की सुरक्षा है। प्रयोगों तथा वस्तुस्थिति के अध्ययन से हमें पता चलता है कि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है।

प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो। दूसरे शब्दों में जब पर्यावरण अथवा वन संरक्षित किए जाएँ, तो उनके सुनियोजित उपयोग का लाभ स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए। यह विकेन्द्रीकरण की एक ऐसी व्यवस्था है जिससे आर्थिक विकास एवं पारिस्थितिक संरक्षण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।

अनुच्छेद 16.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर:
जल संग्रहण भारत में पुरानी पद्धति है। राजस्थान में खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी, महाराष्ट्र में बंधारस एवं ताल, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बंधिस, बिहार में आहार तथा पाइन, हिमाचल प्रदेश में कुल्ह, जम्मू के काँदी क्षेत्र में तालाब तथा तमिलनाडु में एरिस, केरल में सुरंगम, कर्नाटक में कट्टा आदि प्राचीन जल संग्रहण तथा जल परिवहन संरचनाएँ आज भी उपयोग में हैं। हमारे क्षेत्र, राजस्थान में खादिन, अत्यधिक प्रचलित है।

15वीं सदी में सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान में, जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा डिजाइन की गई यह प्रणाली राज्य के कई हिस्सों में आज भी प्रचलन में है। खादिन जिसे ‘ढोरा’ भी कहा जाता है, जमीन पर बहते हुए पानी को कृषि में उपयोग करने के लिए विकसित की गई थी। इसकी प्रमुख विशेषता निचली पहाड़ी की ढलानों के आर-पार पूर्वी छोर पर बनाए जाने वाला लंबा (100-300 मी) बाँध है। इसमें पानी की आधिक्य मात्रा को बाहर निकालने की भी व्यवस्था होती है। खादिन पद्धति खेतों में बहने वाले वर्षा जल के संग्रहण पर आधारित प्रणाली है। बाद में जल तृप्त जमीन का उपयोग विभिन्न फसलों के उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों में जल संभर प्रबंधन, मैदानी क्षेत्रों से पूर्ण रूप से भिन्न होता है। जैसे-हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में आज से करीब चार सौ वर्ष पहले, नहर सिंचाई की एक स्थानीय प्रणाली विकसित की गई जिसे कुल्ह कहा जाता था। नदियों में बहने वाले जल को मानव-निर्मित छोटी-छोटी नालियों द्वारा पहाड़ी के नीचे के गाँवों तक पहुँचाया जाता था। इन कुल्हों में बहने वाले पानी का प्रबंधन गाँवों के लोग आपसी सहमति से करते थे।

यह जानना बड़ा रोचक होगा कि कृषि के मौसम में जल सबसे पहले दूरस्थ गाँव को दिया जाता था फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते थे। कुल्ह की देख-रेख एवं प्रबंध के लिए दो-तीन लोग रखे जाते थे, जिन्हें गाँव वाले वेतन देते थे। सिंचाई के अतिरिक्त इस कुल्ह से जल का भूमि में अंत:स्रवण भी होता रहता था जो विभिन्न स्थानों पर झरने को भी जल प्रदान करता रहता था।

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में जल के मुख्य स्रोत भूमिगत जल तथा नगर-निगम द्वारा आपूर्ति. जल हैं। कभी-कभी खासकर गर्मी के दिनों में इन स्रोतों से प्राप्त होने वाले जल में कुछ कमी आ जाती है तथा इनकी समान उपलब्धता भी सम्भव नहीं होती।

Jac Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर:
तीन ‘R’ अर्थात् उपयोग कम करना, पुनः चक्रण तथा पुनः उपयोग को लागू करके हम पर्यावरण को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रख सकते हैं। उपयोग कम करने का अर्थ है कम-से-कम वस्तुओं का प्रयोग करना। हम बिजली के पंखे एवं बल्ब का स्विच बंद करके विद्युत का अपव्यय रोक सकते हैं। हम टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर जल की बचत कर सकते हैं।

हमें अपने भोजन को फेंकना नहीं चाहिए। पुनः चक्रण का अर्थ है प्लास्टिक, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थों के पुनः चक्रण द्वारा दूसरी उपयोगी वस्तुओं के निर्माण में प्रयोग। जब तक आवश्यक न हो हमें इनका नया उत्पाद/संश्लेषण नहीं करना चाहिए। पुन: उपयोग का अर्थ है किसी वस्तु का बार-बार उपयोग करना। उदाहरण के लिए, प्रयुक्त लिफाफों को फेंकने की जगह इनका हम फिर से उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर:
हम अपने विद्यालय में तीन ‘R’ को लागू करके इसे पर्यानुकूलित बना सकते हैं।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
इन चार दावेदारों; जैसे-वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोगों, सरकार का वन विभाग, उद्योगपति तथा वन्य जीवन एवं प्रकृति-प्रेमी में मेरे विचार से उत्पादों के प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिये जाने के लिए स्थानीय लोग सर्वाधिक उपयुक्त हैं। क्योंकि स्थानीय लोग वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं। सदियों से ये स्थानीय लोग इन वनों का उपयोग करते आ रहे हैं साथ ही इन्होंने ऐसी पद्धतियों का भी विकास किया है जिससे संपोषण होता आ रहा है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए उत्पाद बचे रहेंगे।

इसके अतिरिक्त गड़रियों द्वारा वनों के पारंपरिक उपयोग ने वन के पर्यावरण संतुलन को भी सुनिश्चित किया है। दूसरी तरफ वनों के प्रबंधन से स्थानीय लोगों को दूर रखने का हानिकारक प्रभाव वन की क्षति के रूप में सामने आ सकता है। वास्तव में वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो तथा नियन्त्रित दोहन का फायदा स्थानीय लोगों को प्राप्त हो।

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं?
(a) वन एवं वन्य जंतु
(b) जल संसाधन
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम
उत्तर:
(a) वन एवं वन्य जंतु स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना वनों का प्रबंधन संभव नहीं है। इसका एक सुंदर उदाहरण अराबारी वन क्षेत्र है जहाँ एक बड़े क्षेत्र में वनों का पुनर्भरण संभव हो सका। अतः मैं लोगों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहूँगा। मैं संपोषित तरीके से संसाधन के समान वितरण पर जोर देना चाहूँगा ताकि इसका फायदा सिर्फ मुट्ठी भर अमीर एवं शक्तिशाली लोगों को ही प्राप्त न हो।
(b) जल संसाधन अपने दैनिक जीवन में हम जाने-अनजाने पानी की एक बहुत मात्रा का अपव्यय करते हैं जिसे निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए। मैं यह सुनिश्चित करना चाहूँगा कि मुझमें ऐसी आदतों का विकास हो जिसके द्वारा पानी बचाना सम्भव हो सके। इसके अतिरिक्त किसी जल संभर तकनीकी की सहायता से भी जल को संरक्षित किया जा सकता है।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम वर्तमान में ये ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। इन्हें हम कई तरीकों से बचा सकते हैं।

उदाहरण के लिए –

  1. ट्यूबलाइट का उपयोग करके।
  2. अनावश्यक बल्ब तथा पंखों का स्विच बंद करके।
  3. सौर उपकरणों का उपयोग करके।
  4. वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल द्वारा छोटी दूरियाँ तय करके।
  5. यदि हम वाहन का प्रयोग करते हैं, तो जब हम रेड लाइट पर रुकते हैं तो हमें अपने वाहन के इंजन को बंद कर देना चाहिए।
  6. लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके।
  7. वाहनों के टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव रखकर।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत निम्नलिखित तरीकों से कम की जा सकती है –

  1. अनावश्यक बल्ब तथा पंखे बन्द करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं।
  2. बल्ब की जगह हम ट्यूबलाइट का उपयोग कर सकते हैं।
  3. लिफ्ट की जगह सीढ़ी का इस्तेमाल करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं।
  4. छोटी दूरियाँ तय करने के लिए हम वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
  5. जब गाड़ियाँ रेड लाइट पर खड़ी होती हैं तो उनका इंजन बंद करके हम पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
  6. टपकने वाले नलों की मरम्मत कराकर हम पानी की बचत कर सकते हैं।
  7. हम भोजन को व्यर्थ में न फेंककर, भोजन की बचत कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं –
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर:
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण –

  1. अनावश्यक पंखे एवं बल्ब को बंद करके हमने बिजली बचाई।
  2. वाहन की जगह पैदल चलकर हमने पेट्रोल बचाया।
  3. हमने टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर पानी बचाया।
  4. हमने लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल कर बिजली बचाई।
  5. हमने चटनियों की खाली बोतल का उपयोग मसाले रखने के लिए किया।

(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है –

  1. दाढ़ी बनाते समय हमने पानी का अपव्यय किया है।
  2. मैं सो गया किंतु टेलीविजन चलता रहा।
  3. कमरे को गर्म रखने के लिए बिजली उपकरणों का उपयोग किया।
  4. ट्यूबलाइट की जगह बल्ब का उपयोग किया।
  5. अपना भोजन फेंका।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर:
हम अपनी जीवन शैली में तीन ‘R’ की संकल्पना को लागू करना चाहेंगे। ये तीन ‘R’ हैं-कम करना, पुनः चक्रण, पुनः उपयोग। ये संसाधनों के संपोषित उपयोग में हमारी मदद करते हैं।

Jac Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है?
(a) जल
(b) वायु
(c) पर्वत
(d) कूड़ा-करकट
उत्तर:
(d) कूड़ा-करकट

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन प्राकृतिक संसाधन है?
(a) सीमेंट
(b) ईंट
(c) बाँध
(d) समुद्र
उत्तर:
(d) समुद्र

प्रश्न 3.
गंगा सफाई योजना कब प्रारंभ हुई थी?
(a) 1985 ई०
(b) 1955 ई०
(c) 2005 ई०
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1985 ई०

प्रश्न 4.
कोलिफॉर्म समूह है –
(a) विषाणु का
(b) जीवाणु का
(c) प्रोटोजोआ का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जीवाणु का

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरो-1 तथा यूरो – II मानक क्या हैं?
उत्तर:
यूरो – I में ईंधन से मुक्त CO2 का उत्सर्जन स्तर 2.75 ग्राम/किमी तथा यूरो – II में यह स्तर 2.20 ग्राम/किमी है। इसके फलस्वरूप प्रदूषण स्तर में काफी कमी आ गई है।

प्रश्न 2.
वन संरक्षण हेतु सबसे उपयोगी विधि क्या हो सकती है?
उत्तर:
स्थानीय नागरिकों को वन संरक्षण का प्रबन्धन दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
किन्हीं दो वन उत्पाद आधारित उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर:
1. प्लाईवुड उद्योग में लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
2. बीड़ी उद्योग में तेंदूपत्ता का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
विभिन्न प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
मृदा, जल, वायु, वन्य-जीव, कोयला, पेट्रोलियम आदि विभिन्न प्राकृतिक संसाधन हैं।

प्रश्न 5.
कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए दो उपाय बताइए।
उत्तर:
1. कोयला के उपयोग को कम करने के लिए हमें विद्युत की खपत पर नियन्त्रण रखना होगा।
2. पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए सामुदायिक वाहनों के प्रयोग के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करना चाहिए।

प्रश्न 6.
‘खादिन’ या ‘ढोरा’ पद्धति किससे सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
खादिन या ढोरा पद्धति खेतों में बहने वाले वर्षा जल के संग्रहण पर आधारित प्रणाली हैं। इस जल का उपयोग फसल उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
क्योटो प्रोटोकॉल समझौता क्या है?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड तथा हरित गैस उत्सर्जन स्तर में 1990 की तुलना में 5.2% कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए 1997 में जापान के क्योटो शहर में यह समझौता लागू किया गया था।

उत्तर 8.
पर्यटक किस प्रकार वन पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं?
उत्तर:
पर्यटक कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, टिन पैक आदि को इधर-उधर फेंककर वन पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। पर्यटकों को वन क्षेत्रों में लाने ले जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाहनों से मुक्त विषाक्त गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।

प्रश्न 9.
अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
अमृता देवी विश्नोई ने 1731 में ‘खेजरी वृक्षों’ को बचाने के लिए 363 व्यक्तियों के साथ स्वयं को बलिदान कर दिया था। उनकी स्मृति में जीव संरक्षण हेतु यह पुरस्कार दिया जाता है।

प्रश्न 10.
वन उत्पादों की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
लकड़ी, बाँस, जड़ी-बूटी, औषधि, विभिन्न प्रकार के कन्द-मूल फल, मछली एवं पशुओं का चारा आदि।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराना किस प्रकार हानिकारक है?
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराने से मिट्टी उखड़ जाती है, घास आदि कुचल जाती है। इससे मृदा अपरदन होने लगता है। इससे राष्ट्रीय उद्यान को क्षति होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन के अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने के लिए हम किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं –

  • स्वचालित वाहन का उपयोग कम करें; यथासम्भव सामुदायिक वाहनों का उपयोग किया जाना चाहिए। चौराहों पर लाल बत्ती होने पर इंजन को बन्द कर दें। इंजन को समय-समय पर ट्यून कराते रहें।
  • छोटी दूरी तय करने के लिए पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें।
  • विद्युत का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि कम-से-कम और आवश्यकता के अनुरूप ही उपकरणों का प्रयोग हो। विद्युत उत्पादन के समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से CO2 का उत्सर्जन होता है।
  • वृक्षारोपण के लिए जनसामान्य को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
सार्वसूचक (universal indicator) की सहायता से अपने घर में आपूर्त पानी का pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सार्वसूचक (universal indicator) एक pH सूचक है, जो pH के विभिन्न मान वाले विलयनों में विभिन्न रंग प्रदर्शित करता है। अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। क्षारकों का स्वाद कडुवा होता है। यह लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। लिटमस एक प्राकृतिक सूचक होता है। पानी के नमूनों को अलग-अलग परखनली या बीकर में लेते हैं, इनमें लिटमस कागज डालने पर कागज के रंग में आने वाले परिवर्तनों से पानी के नमूने की प्रकृति ज्ञात की जा सकती है। यदि रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो वह जल का नमूना उदासीन होता है। उदासीन जल का pH मान 7 होता है। pH मान 7 से कम होना अम्लीयता को और अधिक होना क्षारीयता को प्रदर्शित करता है।

रंग और निष्कर्ष –
लाल – अत्यधिक अम्लीय
नारंगी – अम्लीय
नीला – क्षारीय
बैंगनी – अत्यधिक क्षारीय

प्रश्न 3.
वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों की क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर:
वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों को जलाने के लिए लकड़ी, छाजन एवं आवास के लिए लकड़ी की अधिक आवश्यकता होती है। भोजन के भण्डारण के लिए कृषि उपकरणों, शिकार करने और मछली आदि पकड़ने के लिए औजार लकड़ी से बने होते हैं। स्थानीय निवासी वनों से कन्द, मूल, फल तथा औषधि प्राप्त करते हैं। अपने पालतु पशुओं को वनों में चराते हैं और वनों से ही पशुओं के लिए चारा प्राप्त करते हैं। वन क्षेत्र से ये भोजन हेतु जन्तु और मछली प्राप्त करते हैं। ये अपने दैनिक उपभोग की लगभग सभी वस्तुएँ वन से प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 4.
कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल में CO2 के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकों की चर्चा की गई थी। इस समझौते के अनुसार औद्योगिक राष्ट्रों को अपने CO2 तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्तर में 5.2% की कमी लाने के लिए कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया एवं आइसलैण्ड के लिए यह मानक क्रमशः 8% तथा 10% निर्धारित किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल समझौता जापान के क्योटो शहर में दिसम्बर 1997 में हुआ था और इसे 16 फरवरी 2005 को लागू किया गया। दिसम्बर 2006 तक 169 देशों ने इस समझौते का अनुमोदन कर दिया था।

प्रश्न 5.
पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण को बचाने के लिए 3R तकनीक का उपयोग करके इस समस्या का प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। जल, कोयला, पेट्रोलियम, विद्युत, धातु तथा अन्य अनेक प्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recyling) तथा पुन: उपयोग (Reuse) करके पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
ऐसे क्षेत्रों की पहचान कीजिए जहाँ पर जल की प्रचुरता है तथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ इसकी बहुत कमी है।
उत्तर:
अत्यधिक वर्षा या जल की प्रचुरता वाले क्षेत्र जहाँ प्रतिवर्ष 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, गोआ, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश एवं असम आदि हैं। हल्की वर्षा वाले क्षेत्र अर्थात् जहाँ प्रतिवर्ष 50 से 100 सेमी वर्षा होती है ऊपरी गंगा घाटी, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिमी राजस्थान, थार, कच्छ, पश्चिमी घाट के वर्षा-छाया क्षेत्र आदि हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“गंगा सफाई योजना”का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, इसके लिए सामाजिक जागरूकता लाना अनिवार्य है। गंगा सफाई योजना इसी दिशा में किया गया एक प्रयत्न है। प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन 345 जीवन दायिनि गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए यह योजना 1985 में प्रारम्भ की गई। कई करोड़ों की यह योजना गंगा जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रारम्भ हुई। गंगा हिमालय में स्थित अपने उद्गम गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी में गंगासागर तक 2500 किमी तक यात्रा करती है। इसके किनारे स्थित उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल के 100 से अधिक नगरों का औद्योगिक कचरा इसमें मिलता जाता है, इसके फलस्वरूप इसका स्वरूप नाले के समान हो गया है।

इसके अतिरिक्त इसमें प्रचुर मात्रा में अपमार्जक (detergents), वाहितमल (sewage), मृत शवों का प्रवाह, मृत व्यक्तियों की राख आदि प्रवाहित किए जाते रहते हैं। इसके कारण इसका जल विषाक्त होने लगा है। विषाक्त जल के कारण अत्यधिक संख्या में मछलियाँ तथा अन्य जलीय जीव मर रहे हैं। कोलिफॉर्म जीवाणु का एक वर्ग है जो मानव की आँत में पाया जाता है। गंगाजल में इसकी उपस्थिति से जल प्रदूषण का स्तर प्रदर्शित होता है। गंगा सफाई योजना गंगा नदी और इसके जल को संदषित होने से बचाने के लिए प्रारम्भ की गई है।

प्रश्न 2.
एक एटलस की सहायता से भारत में वर्षा के पैटर्न का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में वर्षा ऋतु का आगमन प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिणी सिरे पर जून के प्रथम सप्ताह में मानसून से होता है। इसके पश्चात् मानसून दो शाखाओं में बँट जाता है-अरब सागर शाखा तथा बंगाल की खाड़ी शाखा। अरब सागर शाखा 10 जून तक मुम्बई पहुँच जाती है। बंगाल की खाड़ी शाखा तेजी से बढ़ती हुई जून के प्रथम सप्ताह में असम पहुँच जाती है। पर्वत श्रृंखलाएँ इन मानसूनी हवाओं को पश्चिम की ओर गंगा के मैदानों के ऊपर मोड़ देती हैं। अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा गंगा के मैदान के उत्तर-पश्चिम भाग में एक- दूसरे से मिल जाती हैं।

मानसून दिल्ली में जून के अन्त में पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान में जूलाई के प्रथम सप्ताह में और मध्य जुलाई तक शेष भारत में मानसून पहुँच जाता है। मानसून के वापस लौटने की शुरुआत सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में उत्तर पूर्वी राज्यों से होती है। मध्य अक्टूबर तक यह प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरीय आधे हिस्से से लौट जाता है। यह क्रिया धीमी गति से होती है। इसके विपरीत भारत के दक्षिणी आधे भाग से मानसून बहुत तेजी से लौटता है। दिसम्बर के आरम्भ तक पूरे देश से मानसून प्राय: लौट जाता है। इसी के साथ भारत शीत लहर के प्रभाव में आ चुका होता है।

Thanks! for visiting the official website of Jharkhand Board Solutions (JacBoardSolutions.in). Jai Hind!

Filed Under: Uncategorized

Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

February 21, 2021 by Jac Board Leave a Comment

Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन – Jac Board Solutions

Welcome to the official website of Jac Board Solutions. Here at this page Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन – Jac Board Solutions is given in PDF Format. The direct download links are given below on this page. You can find direct download links on this page.

Jharkhand Board Solutions Pdf Download

झारखण्ड बोर्ड सलूशन की ऑफिसियल वेबसाइट पर आपका स्वागत है | इस पेज पर झारखण्ड बोर्ड Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन – Jac Board Solutions का सलूशन (हल) दिया गया है | यह सलूशन latest pattern पर आधारित है | सभी पीडीऍफ़ फाइल्स का डाउनलोड नीचे पेज पर दिया गया है |

Jharkhand Jac Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

अनुच्छेद 10.1 से 10.2.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण का मुख्य फोकस अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहाँ पर मुख्य अक्ष के समानांतर किरणें परिवर्तित होने के पश्चात् मिलती हैं; अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है।

प्रश्न 2.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी? (2014, 16, 17, 18)
हल:
हम जानते हैं,
R =2f
f =

R2\frac {R}{2}

2R​
दिया है,
R =

202\frac {20}{2}

220​
f = 10 cm
अतः गोलीय दर्पण की फोकस दूरी 10 cm है।

प्रश्न 3.
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।
उत्तर:
अवतल दर्पण बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बनाता है।

प्रश्न 4.
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?
उत्तर:
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता देते हैं; क्योंकि यह वस्तुओं (दूर स्थित भी) का सीधा, पूर्ण तथा छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

अनुच्छेद 10.2.3 और 10.2.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है।
हल:
हम जानते हैं,
R = 2f
∴ f =

R2\frac {R}{2}

2R​
दिया है,
R = 32 cm
∴ f =

322\frac {32}{2}

232​
∴ f = 16 cm
अत: उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 16 cm है।

प्रश्न 2.
कोई अवतल दर्पण अपने सामने 10 cm दूरी पर रखे किसी बिंब का तीन गुना आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर है?
हल:
दिया है,
u = 10 cm तथा आवर्धान क्षमता m = 3
हम जानते हैं,
m =

−υu\frac {-υ}{u}

u−υ​
या 3u = υ
u = -30 cm
∴ प्रतिबिंब अवतल दर्पण के सामने ध्रुव से 30 cm की दूरी पर बनेगा।

अनुच्छेद 10.3, 10.3.1 और 10.3.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी अथवा अभिलंब से दूर हटेगी? बताइए क्यों ?
उत्तर:
यदि वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर झुकेगी; क्योंकि जल में प्रवेश करने पर इसका वेग कम हो जाता है।

प्रश्न 2.
प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनांक की काँच की प्लेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है? निर्वात् में प्रकाश की चाल 3 x 10 m/s है।
हल:
दिया है, काँच का अपवर्तनांक ng = 1.50
सूत्र ng =

cυg\frac{c}{υ_{g}}

υg​c​ से

प्रश्न 3.
सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अधिकतम प्रकाशिक घनत्व का माध्यम हीरा जबकि न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व का माध्यम वायु है।

प्रश्न 4.
आपको केरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है? सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश जल में सबसे अधिक तीव्र गति से चलेगा; क्योंकि इसका अपवर्तनांक केरोसिन तथा तारपीन के तेल से कम होता है।

प्रश्न 5.
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रश्न में उल्लिखित कथन का अभिप्राय यह है कि हीरे का प्रकाशिक घनत्व बहुत अधिक है जिसके कारण प्रकाश की चाल इसमें बहुत धीमी होगी। (निर्वात् में प्रकाश की चाल की 1 गुनी)

अनुच्छेद 10.3.3 से 10.3.8 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी लेंस की 1 डायॉप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जब किसी लेंस की फोकस दूरी 1 मीटर होती है तो उसकी क्षमता 1 डायॉप्टर होती है।

प्रश्न 2.
कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उलटा प्रतिबिंब उस लेंस से 50 cm दूर बनाता है। यह सुई, उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी है, यदि इसका प्रतिबिंब उसी साइज़ का बन रहा है जिस साइज़ का बिंब है। लेंस की क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, प्रतिबिंब की दूरी, υ = 50 cm
m = 1
p =

1f\frac{1}{f}

f1​ = ?
∴ m =

υu\frac{υ}{u}

uυ​
∴ 1 =

υu\frac{υ}{u}

uυ​ ⇒ υ = u
∴ u = -50 cm
∴ वस्तु की दूरी = 50 cm
∴

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​ =

150\frac{1}{50}

501​ –

150\frac{1}{50}

501​ =

1f\frac{1}{f}

f1​ =

1+150\frac{1+1}{50}

501+1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​
∴ f = 25cm
लेंस की क्षमता P =

125\frac{1}{25}

251​ x 100
∴ P = 4 डायॉप्टर

प्रश्न 3.
2 m फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए। (2018)
हल:
दिया है, फोकस दूरी, f = -2 m
अवतल लेंस की क्षमता, P =

1f\frac{1}{f}

f1​
∴ p = –

12\frac{1}{2}

21​
∴ P= – 0.5 डायॉप्टर

Jac Board Class 10 Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी
उत्तर:
(d) मिट्टी

प्रश्न 2.
किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच
(b) वक्रता केंद्र पर
(c) वक्रता केंद्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

प्रश्न 3.
किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज़ का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर

प्रश्न 4.
किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ-15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं –
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल
उत्तर:
(a) दोनों अवतल

प्रश्न 5.
किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है –
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल
उत्तर:
(d) या तो समतल अथवा उत्तल

प्रश्न 6.
किसी शब्दकोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
उत्तर:
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस

प्रश्न 7.
15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं। बिंब का दर्पण से दूरी का परिसर (range) क्या होना चाहिए? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा? इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर:
अवतल दर्पण से वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए वस्तु को दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच रखना होगा। अतः वस्तु की दर्पण के ध्रुव से दूरी 0 cm से अधिक तथा 15 cm से कम कुछ भी हो सकती है। वस्तु का प्रतिबिम्ब सीधा तथा आभासी है तथा आकार में वस्तु से बड़ा है। अभीष्ट किरण आरेख संलग्न चित्र में प्रदर्शित है।

प्रश्न 8.
निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए
(a) किसी कार का अग्र-दीप (हैडलाइट)
(b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण
(c) सौर भट्ठी अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
(a) कार की हैडलाइट में अवतल दर्पण का प्रयोग होता है; क्योंकि इसके द्वारा एक शक्तिशाली व समानांतर प्रकाशपुंज प्राप्त होता है।
(b) वाहन के पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण में उत्तल दर्पण का प्रयोग होता है; क्योंकि इसके द्वारा पीछे आ रहे वाहनों का सीधा, छोटा व पूर्ण प्रतिबिंब प्राप्त होता है।
(c) सौर भट्ठी में अवतल दर्पण का प्रयोग होता है; क्योंकि यह सूर्य-प्रकाश की किरण को संकेन्द्रित कर देता है जिससे ऊष्मा प्राप्त होती है।

प्रश्न 9.
किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज़ से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह लेन्स वस्तु का पूर्ण प्रतिबिम्ब बना सकेगा। प्रायोगिक सत्यापन प्रयोग विधि सर्वप्रथम प्रकाशिक बैंच पर एक स्टैंड में उत्तल लेन्स लगाते हैं। लेन्स की फोकस – दूरी से कुछ अधिक दूरी पर, स्टैंड पर एक जलती. हुई मोमबत्ती रखते हैं। अब लेन्स के दूसरी ओर से मोमबत्ती को देखते हैं। अब लेन्स के आधे भाग को काला कागज चिपकाकर ढक देते हैं। पुन: लेन्स के दूसरी ओर से मोमबत्ती को देखते हैं। प्रेक्षण प्रथम दशा में मोमबत्ती का पूरा तथा उल्टा प्रतिबिम्ब दूसरी ओर से दिखाई देता है।

कागज चिपकाने के बाद भी मोमबत्ती का पूरा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है, परन्तु इसकी तीव्रता पहले की तुलना में कम हो जाती है। व्याख्या मोमबत्ती के किसी बिन्दु से चलने वाली विभिन्न किरणें लेन्स के विभिन्न भागों से अपवर्तित होकर किसी एक-ही बिन्दु पर मिलेंगी। आधा लेन्स काला कर देने पर भी उस बिन्दु पर प्रकाश किरणें आएँगी अर्थात् मोमबत्ती का पर्दे पर पूरा प्रतिबिम्ब प्राप्त होगा, परन्तु प्रतिबिम्ब की तीव्रता घट जाएगी, क्योंकि प्रकाश किरणों की संख्या कम हो जाएगी।

प्रश्न 10.
5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, h1 = 5 cm, u=-25 cm तथा f = + 10 cm
सूत्र

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

1u\frac{1}{u}

u1​ +

1f\frac{1}{f}

f1​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

110\frac{1}{10}

101​ –

125\frac{1}{25}

251​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

5−250\frac{5-2}{50}

505−2​ =

350\frac{3}{50}

503​
υ =

503\frac{50}{3}

350​ = 16.66 cm
अतः प्रतिबिंब लेंस की दूसरी तरफ 16.66 cm की दूरी पर प्राप्त होगा तथा वास्तविक व उलटा होगा।
अब,


h2= – 3.33 cm
अत : प्रतिबिंब उलटा तथा 3.33 cm ऊँचाई का होगा।

प्रश्न 11.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिंब का प्रतिबिंब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिंब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है? किरण आरेख खींचिए।
हल:
दिया है,

f = -15 cm, y = -10 cm तथा u = ?
सत्र =

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​

110\frac{1}{10}

101​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1−15\frac{1}{-15}

−151​

1−10\frac{1}{-10}

−101​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1−15\frac{1}{-15}

−151​

−110\frac{-1}{10}

10−1​ +

−115\frac{-1}{15}

15−1​ =

1u\frac{1}{u}

u1​

1u\frac{1}{u}

u1​ =

−3+230\frac{-3 + 2}{30}

30−3+2​
u = -30 cm
अतः वस्तु अवतल दर्पण से 30 cm दूर रखी है।

प्रश्न 12.
15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिंब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, f = 15 cm, u = -10 cm, y = ?
सूत्र,

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ +

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​
–

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

115\frac{1}{15}

151​ +

110\frac{1}{10}

101​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

2+330\frac{2+3}{30}

302+3​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

530\frac{5}{30}

305​ =

1u\frac{1}{u}

u1​ =

530\frac{5}{30}

305​ = u =

305\frac{30}{5}

530​
υ = 6 cm
अतः प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6 cm दूर प्राप्त होगा तथा आभासी और सीधा होगा।

प्रश्न 13.
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन +1 है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
धनात्मक चिह्न का अर्थ है कि समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी और सीधा है तथा प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार जितना है।

प्रश्न 14.
5.0 cm लंबाई का कोई बिंब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज़ ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, u =-20 cm, R = 30 cm, h1 = 5.0 cm
तथा f =

R2\frac{R}{2}

2R​ =

302\frac{30}{2}

230​ = 15m
सूत्र,

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ +

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​

1u\frac{1}{u}

u1​ +

1−20\frac{1}{-20}

−201​ =

1+15\frac{1}{+15}

+151​

1u\frac{1}{u}

u1​ =

115\frac{1}{15}

151​ +

120\frac{1}{20}

201​ =

4+360\frac{4 + 3}{60}

604+3​ =

760\frac{7}{60}

607​ u =

607\frac{60}{7}

760​cm = 8.57 cm
अतः प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 8.57 cm दूर बनेगा।
सूत्र m =

h2h1\frac{h_{2}}{h_{1}}

h1​h2​​ =

−υu\frac{-υ}{u}

u−υ​से,

h2h1\frac{h_{2}}{h_{1}}

h1​h2​​ =

8.5720\frac{8.57}{20}

208.57​
h2 =

8.57×520−υu\frac{8.57 \times 5}{20}\frac{-υ}{u}

208.57×5​u−υ​ = 2.175 cm
अतः प्रतिबिंब आभासी, सीधा और 2.175 cm ऊँचा है।

प्रश्न 15.
7.0 cm साइज़ का कोई बिंब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके? प्रतिबिंब का साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, h1 = 7 cm, u=-27 cm, f = -18 cm, υ = ?, h2 = ?
सूत्र,

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ –

1u\frac{1}{u}

u1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

1f\frac{1}{f}

f1​ –

1u\frac{1}{u}

u1​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

1−18\frac{1}{-18}

−181​ +

127\frac{1}{27}

271​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ =

−3+254\frac{-3+2}{54}

54−3+2​

1υ\frac{1}{υ}

υ1​ = –

154\frac{1}{54}

541​
υ = – 54 cm
अतः पर्दे को दर्पण के सामने 54 cm दूर रखना होगा।
अब

h2 = -14 cm
प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा 14 cm ऊँचा होगा।

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता -2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है?
हल:
दिया है, लेंस की क्षमता, P = -2.0D
सूत्र,
P =

1f\frac{1}{f}

f1​ से,
∴ – 2 =

1f\frac{1}{f}

f1​
f = –

12\frac{1}{2}

21​ n
f =

−12\frac{-1}{2}

2−1​ x 100 cm = -50 cm
चूँकि फोकस दूरी ऋणात्मक है; अतः लेंस अवतल होगा।

प्रश्न 17.
कोई डॉक्टर +1.5 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी?
हल:
दिया है, लेंस की क्षमता, P = +1.5 D
p =

1f\frac{1}{f}

f1​ से,
∴ + 1.5 =

1f\frac{1}{f}

f1​
f =

11.5\frac{1}{1.5}

1.51​m =

1015\frac{10}{15}

1510​m =

23\frac{2}{3}

32​m = + 0.67 m
चूँकि लेंस की फोकस दूरी धनात्मक है; अतः लेंस की प्रकृति अभिसारी होगी।

Jac Board Class 10 Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समतल दर्पण की फोकस दूरी होती है – (2014)
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) 25 सेमी
(d) – 25 सेमी
उत्तर:
(b) अनन्त

प्रश्न 2.
यदि किसी वस्तु को एक दर्पण के सामने निकट रखने पर प्रतिबिम्ब सीधा बने, किन्तु दूर रखने पर उल्टा प्रतिबिम्ब बने तो वह दर्पण होगा – (2015)
(a) समतल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण

प्रश्न 3.
किसी अवतल दर्पण द्वारा आभासी, सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बनता है। वस्तु की स्थिति होगी – (2017)
(a) ध्रुव व फोकस के बीच
(b) फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच
(c) वक्रता केन्द्र पर
(d) वक्रता केन्द्र से पीछे
उत्तर:
(a) ध्रुव व फोकस के बीच

प्रश्न 4.
संयुग्मी फोकस सम्भव है केवल –
(a) उत्तल दर्पण में
(b) अवतल दर्पण में
(c) समतल दर्पण में
(d) साधारण काँच में
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण में

प्रश्न 5.
किसी 10 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 20 सेमी की दूरी पर एक वस्तु रखी है, तो वस्तु का प्रतिबिम्ब –
(a) दर्पण के पीछे बनेगा
(b) दर्पण तथा फोकस के बीच बनेगा
(c) फोकस पर बनेगा
(d) दर्पण के वक्रता केन्द्र पर बनेगा
उत्तर:
(d) दर्पण के वक्रता केन्द्र पर बनेगा

प्रश्न 6.
एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। इसकी फोकस दूरी होगी (2018)
(a) -20 सेमी
(b) -10 सेमी
(c) + 40 सेमी
(d) + 10 सेमी
उत्तर:
(d) +10 सेमी

प्रश्न 7.
किसका दृष्टिक्षेत्र सबसे अधिक होता है? (2017)
(a) समतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) अवतल दर्पण
(d) उत्तल लेंस
उत्तर:
(b) उत्तल दर्पण

प्रश्न 8.
उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब सदैव बनता है –
(a) वक्रता-केन्द्र तथा फोकस के बीच
(b) वक्रता-केन्द्र तथा अनन्त के बीच
(c) ध्रुव तथा फोकस के बीच
(d) कहीं भी बन सकता है यह वस्तु की स्थिति पर निर्भर करता है
उत्तर:
(c) ध्रुव तथा फोकस के बीच

प्रश्न 9.
उत्तल दर्पण के सामने रखी किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है – (2012)
(a) वस्तु की स्थिति पर ही
(b) दर्पण के सामने वस्तु की स्थिति से दुगुनी दूरी पर
(c) दर्पण के सामने वस्तु की स्थिति से आधी दूरी पर
(d) दर्पण के पीछे
उत्तर:
(d) दर्पण के पीछे

प्रश्न 10.
उत्तल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति है – (2018)
(a) वास्तविक व सीधा
(b) आभासी व सीधा
(c) आभासी व उल्टा
(d) वास्तविक व उल्टा
उत्तर:
(b) आभासी व सीधा

प्रश्न 11.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। दर्पण की वक्रता त्रिज्या होगी (2011, 12, 13, 14, 16)
(a) 10 सेमी
(b) 20 सेमी
(c) 30 सेमी
(d) 40 सेमी
उत्तर:
(b) 20 सेमी

प्रश्न 12.
यदि आपतन कोणा तथा परावर्तन कोणr हो तब अपवर्तित किरण विचलित होगी – (2013)
(a) i – r
(b) i+r
(c) i × r
(d)

sinisinr\frac{sini}{sinr}

sinrsini​
उत्तर:
(a) i – r

प्रश्न 13.
यदि दो माध्यमों के सीमा-पृष्ठ पर एक प्रकाश-किरण लम्बवत् आपतित होती है तो अपवर्तन कोण होगा – (2013)
(a) 0°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°
उत्तर:
(a) 0°

प्रश्न 14.
निम्न में से किसके सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव सीधा, आभासी तथा छोटा बनता है? (2012)
(a) उत्तल लेंस
(b) अवतल लेंस
(c) अवतल दर्पण
(d) समतल दर्पण।
उत्तर:
(b) अवतल लेंस

प्रश्न 15.
किसी वस्तु तथा उसके प्रतिबिम्ब की लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से दूरी क्रमशः 10 सेमी और 30 सेमी है। वस्तु के प्रतिबिम्ब तथा वस्तु की लम्बाई का अनुपात होगा – (2017)
(a) 1
(b) 1 से अधिक
(c) 1 से कम
(d) अनन्त
उत्तर:
(c) 1 से कम

प्रश्न 16.
यदि उत्तल लेंस के सामने वस्तु 2f पर रखी जाए, तब उसका प्रतिबिम्ब बनेगा – (2011, 16)
(a) अनन्त पर
(b) 2 F पर
(c) F पर
(d) F तथा प्रकाशिक केन्द्र के बीच
उत्तर:
(b) 2 F पर

प्रश्न 17.
एक मीटर फोकस दूरी के उत्तल लेन्स की क्षमता होगी – (2018)
(a) – 1D
(b) + 2D
(c) + 1D
(d) + 1.5D
उत्तर:
(c) +1D

प्रश्न 18.
50 सेमी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की क्षमता होगी (2012, 13, 14, 15, 16)
(a) -2 डायोप्टर
(b) + 2 डायोप्टर
(c) +0.02 डायोप्टर
(d) – 0.02 डायोप्टर
उत्तर:
(b) +2 डायोप्टर

प्रश्न 19.
एक उत्तल लेंस की क्षमता 5 D है। इसकी फोकस दूरी है – (2018)
(a) +50 सेमी
(b) -50 सेमी
(c) +20 सेमी
(d) -20 सेमी
उत्तर:
(c) + 20 सेमी

प्रश्न 20.
-10 D क्षमता वाले लेंस की फोकस दूरी होगी – (2015, 17)
(a) 10 सेमी
(b) 10 मीटर
(c) -10 सेमी
(d) -10 मीटर
उत्तर:
(c) -10 सेमी

प्रश्न 21.
निर्वात् में प्रकाश की चाल होती है – (2018)
(a) 3 × 107 मी / से
(b) 2 × 108 मी / से
(c) 3 × 108 मी / से
(d) 3 × 1010 मी / से
उत्तर:
(c) 3 × 108 मी / से

प्रश्न 22.
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आवश्यक शर्त होती है – (2018)
(a) प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाए
(b) प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाए
(c) आपतन कोण का मान, क्रान्तिक कोण से कम हो ।
(d) आपतन कोण का मान, क्रान्तिक कोण के बराबर हो
उत्तर:
(b) प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाए

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आपतित किरण एवं परावर्तित किरणों के बीच का कोण 60° है। आपतन कोण कितना है ?
हल:
चूँकि आपतन कोण एवं परावर्तन कोण बराबर होते हैं। अत: आपतन कोण =

60°2\frac{60°}{2}

260°​ = 30°

प्रश्न 2.
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी तथा वक्रता-त्रिज्या में क्या सम्बन्ध है ? (2013, 14, 15, 17)
उत्तर:
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी, वक्रता-त्रिज्या की आधी होती है।
अर्थात् f = 

r2\frac{r}{2}

2r​

प्रश्न 3.
किस प्रकार के दर्पण से सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनते हैं ?
उत्तर:
उत्तल दर्पण से सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनते हैं।

प्रश्न 4.
किस दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है तथा किसकी धनात्मक?
उत्तर:
अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक तथा उत्तल दर्पण की धनात्मक होती है।

प्रश्न 5.
सदैव आभासी, सीधा तथा आकार में वस्तु से छोटे प्रतिबिम्ब को प्राप्त करने के लिए कौन-सा दर्पण प्रयुक्त करना चाहिए? या किस दर्पण से वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव ही सीधा, आभासी व छोटा दिखायी देता है? (2011, 15)
उत्तर:
उत्तल दर्पण।

प्रश्न 6.
अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर होता है? (2018)
उत्तर:
अवतल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु से बड़ा होता है जबकि उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु से छोटा होता है।

प्रश्न 7.
वस्त की किस स्थिति में अवतल दर्पण वास्तविक व आकार में बराबर प्रतिबिम्ब बनाता है ?
उत्तर:
जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर स्थित हो।

प्रश्न 8.
जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर हो, तब उसका प्रतिबिम्ब कहाँ तथा किस प्रकार का बनेगा?
उत्तर:
प्रतिबिम्ब वक्रता-केन्द्र पर ही बनेगा। यह वस्तु के आकार का, वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 9.
अवतल दर्पण के दो उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर:
1. अवतल दर्पण को दाढ़ी बनाते समय प्रयोग किया जाता है।
2. कान, नाक व गले की जाँच करने के लिए डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 10.
एक दर्पण, वस्तु का सीधा व आकार में छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है, यह किस प्रकार का दर्पण है? प्रतिबिम्ब वास्तविक है अथवा आभासी?
उत्तर:
क्योंकि प्रतिबिम्ब सीधा व छोटा है; अत: दर्पण, उत्तल दर्पण है तथा प्रतिबिम्ब आभासी

प्रश्न 11.
सड़क पर लगे बल्बों के पीछे किस प्रकार के परावर्तक दर्पण का प्रयोग किया जाता है? इस दर्पण का एक और उपयोग लिखिए। (2012)
उत्तर:
उत्तल दर्पण का। इस दर्पण का उपयोग दूरदर्शी में भी किया जाता है।

प्रश्न 12.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। इसके द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब अधिक-से-अधिक कितनी दूरी पर बनाया जा सकता है? (2014)
उत्तर:
अधिकतम 10 सेमी की दूरी पर।

प्रश्न 13.
एक दर्पण की फोकस दूरी f है। यदि इसे दो भागों में काट दिया जाता है तो प्रत्येक भाग की फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
दर्पण को काटने पर फोकस दूरी के मान में कोई परिवर्तन नहीं होगा। अत: फोकस दूरी f ही रहेगी।

प्रश्न 14.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। एक वस्तु इसकी मुख्य अक्ष पर ध्रुव से 20 सेमी की दूरी पर रखी जाती है। वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। (2017)
हल:
दिया है : फोकस दूरी (f) = + 10
सेमी, दर्पण से वस्तु की दूरी (u) = – 20 सेमी,
दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
दर्पण के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ से

110\frac {1}{10}

101​ =

12\frac {1}{2}

21​ –

120\frac {1}{20}

201​
अथवा

1u\frac {1}{u}

u1​ =

110\frac {1}{10}

101​ +

120\frac {1}{20}

201​ =

320\frac {3}{20}

203​
∴ υ =

203\frac {20}{3}

320​ = +6.7 सेमी
अत: प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 6.7 सेमी की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 15.
यदि प्रकाश-किरण काँच के गुटके पर लम्बवत् गिरे तो अपवर्तन कोण कितना होगा? विचलन कोण कितना होगा?
उत्तर:
दोनों ही शून्य होंगे।

प्रश्न 16.
किस रंग के प्रकाश के लिए काँच का अपवर्तनांक अधिकतम और न्यूनतम होता है? (2011, 13, 15, 16, 17)
उत्तर:
बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अधिकतम तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए न्यूनतम।

प्रश्न 17.
काँच, निर्वात एवं जल में से प्रकाश की चाल किसमें सबसे कम होती है तथा क्यों?
उत्तर:
काँच में, क्योंकि इसका अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है।

प्रश्न 18.
संलग्न चित्र के अनुसार प्रकाश की किरण वायु से किसी माध्यम में प्रवेश करती है। वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (2015, 17)

हल:
यहाँ आपतन कोण (i) = 90° – 60° = 30°
तथा अपवर्तन कोण (r) = 90° – 45° = 45°
∴ वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक
n =

sinisinr\frac {sini}{sinr}

sinrsini​ =

sin30sin45\frac {sin 30}{sin 45}

sin45sin30​ =

1/21/2\frac{1 / 2}{1 / \sqrt{2}}

1/2​1/2​

22\frac{\sqrt{2}}{2}

22​​ =

12\frac{1}{\sqrt{2}}

2​1​

प्रश्न 19.
काँच के प्रिज्म के पदार्थ के लिए अपवर्तनांक का सूत्र लिखिए। या यदि किसी प्रिज्म का कोण A तथा अल्पतम विचलन कोण gm हो तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक n बताइए। (2015)
उत्तर:
काँच के प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक
n =

sin⁡(A+δm2)sin⁡A2\frac{\sin \left(\frac{A+\delta_{m}}{2}\right)}{\sin \frac{A}{2}}

sin2A​sin(2A+δm​​)​

प्रश्न 20.
वायु में प्रकाश की चाल 3 x 108 मीटर/सेकण्ड है। उस माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात कीजिए जिसका वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक 1.5 है। (2011, 13, 15, 16)
हल:
वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक

प्रश्न 21.
जल में प्रकाश की चाल 2.25 x 108 मी/से है। यदि जल का अपवर्तनांक

43\frac {4}{3}

34​ हो तो निर्वात् में प्रकाश की चाल ज्ञात कीजिए। (2017)
द्रल:
जल का निर्वात ले
निर्वात् में प्रकाश की चाल हल-जल का निर्वात् के सापेक्ष अपवर्तनांक =

निर्वात् में प्रकाश की चाल =

43\frac {4}{3}

34​ x 2.25 x 108 मी/से
= 3.0 x 108 मी/से

प्रश्न 22.
वाय के सापेक्ष जल तथा काँच के अपवर्तनांक क्रमश: 4/3 एवं 3/2 हैं। जल का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।(2011, 13, 15, 16, 17)
हल:
प्रश्नानुसार, anw = 4/3 तथा ang =3/2
∴ जल का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक = img

प्रश्न 23.
वायु तथा काँच में प्रकाश की चालें क्रमश: 3 x 10 मीटर/सेकण्ड तथा 2 x 108 मीटर/सेकण्ड हैं। वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (2011, 13, 17)
हल:
वायु में प्रकाश की चाल हल-वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक

प्रश्न 24.
काँच का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक 1.5 है। वायु का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक की गणना कीजिए। (2014, 16)
हल:
वायु का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक

=

11.5\frac {1}{1.5}

1.51​ = 0.67

प्रश्न 25.
किसी लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से क्या तात्पर्य है? (2017)
उत्तर:
लेंस के अन्दर मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे होकर जाने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात् आपतित किरण के समान्तर निकल जाती हैं, लेंस का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है।

प्रश्न 26.
एक प्रकाश-किरण पतले लेंस से अपवर्तन के पश्चात् बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती है। उस बिन्दु का नाम बताइए।
उत्तर:
प्रकाशिक केन्द्र।

प्रश्न 27.
किस लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है ?
उत्तर:
अवतल लेंस की।

प्रश्न 28.
किस लेंस द्वारा बना प्रतिबिम्ब सदैव आभासी व छोटा होता है ?
उत्तर:
अवतल लेंस द्वारा।

प्रश्न 29.
अवतल लेंस के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
उत्तर:
फोकस बिन्दु व लेंस के बीच बनेगा।

प्रश्न 30.
किसी लेंस में वस्तु की लम्बाई तथा उसके प्रतिबिम्ब की लम्बाई में 1 : 4 का अनुपात है। इस दशा में तथा में अनुपात बताइए। (2014, 15)
उत्तर:
u : υ = 4 : 1

प्रश्न 31.
एक वस्तु का उत्तल लेंस द्वारा किसी पर्दे पर तीन गुना बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है। यदि वस्तु तथा पर्दे की स्थितियाँ बदल दी जाएँ तो उस दशा में आवर्धन कितना होगा? (2011)
उत्तर:

13\frac {1}{3}

31​ गुना।

प्रश्न 32.
किसी लेंस की क्षमता से आप क्या समझते हैं? (2014, 18)
उत्तर:
लेंस की प्रकाश की किरणों को अभिसरित या अपसरित करने की क्षमता को लेंस की क्षमता कहते हैं।

प्रश्न 33.
लेंस की क्षमता का सूत्र लिखिए।
या लेंस की फोकस दूरी तथा शक्ति (क्षमता) के बीच सम्बन्ध बताने वाला सूत्र लिखिए।
उत्तर:
लेंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रम के बराबर होती है, जबकि फोकस दूरी को मीटर में नापा गया हो।

प्रश्न 34.
लेंस की क्षमता का मात्रक लिखिए। या चश्मों के लेंसों की क्षमता किसमें नापते हैं ?
उत्तर:
लेंस की क्षमता डायोप्टर में मापते हैं।

प्रश्न 35.
किस लेंस की क्षमता धनात्मक तथा किस लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है ?
उत्तर:
उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 36.
किसी लेंस की क्षमता – 2.0 डायोप्टर है। इसकी फोकस दूरी कितनी है तथा लेंस किस प्रकार का है ? (2012, 13, 14, 17)
हल:
लेंस की फोकस दूरी (f) सेमी में =

100p\frac {100}{p}

p100​ =

100−2.0\frac {100}{-2.0}

−2.0100​ = -5.0 सेमी (अवतल लेंस)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
परावर्तन के नियम लिखिए। उत्तर- समतल तल से परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम हैं
प्रथम नियम:
तल पर अभिलम्ब तथा आपतित किरण के बीच का कोण और तल पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण के बीच / का कोण बराबर होते हैं, अर्थात्
आपतन कोण ∠i = परावर्तन कोण ∠r

द्वितीय नियम आपतित किरण, अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल; जैसे कागज के तल में होते हैं।

प्रश्न 2.
अवतल दर्पण में आभासी प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख बनाइए। इसके लिए वस्तु की स्थिति का उल्लेख कीजिए। (2011)
उत्तर:
अवतल दर्पण के सामने ध्रुव व फोकस के बीच रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब आभासी बनता है। चित्र में वस्तु OO’, ध्रुव P तथा मुख्य फोकस F के बीच में है। O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरण O’ A परावर्तित होकर मुख्य फोकस F में से होकर जाती है। दूसरी किरण O’B दर्पण पर अभिलम्बवत् गिरती है, अतः परावर्तित होकर उसी मार्ग पर लौट जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के पीछे बिन्दु। से आती हुई प्रतीत होती हैं। अत: I’ बिन्दु O’ का आभासी प्रतिबिम्ब है। I’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब II’, वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिम्ब है। यह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है तथा आभासी, सीधा व आकार में वस्तु से बड़ा है।

प्रश्न 3.
उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब किस प्रकार का बनता है ? किरण आरेख खींचकर दर्शाइए।
किरण आरेख खींचकर दिखाइए कि उत्तल दर्पण से वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव आभासी,सीधा व छोटा बनता है।
एक उत्तल दर्पण के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब किरण आरेख द्वारा दर्शाइए।
उत्तल दर्पण तथा उसके फोकस के बीच स्थित वस्तु के बने प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा प्रकृति को आवश्यक किरण आरेख द्वारा समझाइए। (2011)
उत्तर:
उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब सदैव ही वस्तु से छोटा, सीधा, आभासी तथा ध्रुव व फोकस के बीच बनता है। वस्तु AB के A बिन्दु से दो किरणें, AM (मुख्य अक्ष के समान्तर) तथा AN वक्रता केन्द्र की दिशा में उत्तल दर्पण से टकराकर क्रमश: MR (फोकस से आती हुई) तथा NA (वक्रता केन्द्र से आती हुई) की दिशा में परावर्तित हो जाती हैं।

(देखें चित्र)। पीछे बढ़ाने पर ये किरणें बिन्दु A’ पर मिलती हैं, इस प्रकार बिन्दु A का प्रतिबिम्ब बिन्दु A’ होगा। A’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब A’B’ डाला। अतः वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A’B’ होगा। यह प्रतिबिम्ब वस्तु से छोटा, सीधा तथा आभासी है।

प्रश्न 4.
अवतल दर्पण के सम्मुख स्थित वस्तु में प्रतिबिम्ब का बनना किरण आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए जबकि वस्तु की स्थिति –

  1. वक्रता केन्द्र से अधिक दूरी पर
  2. वक्रता केन्द्र पर
  3. वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच में
  4. फोकस तथा दर्पण के ध्रव के बीच हो। (2014)

उत्तर:
1. जब वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र से अधिक दरी पर रखी हो प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच में,
आकार वस्तु से छोटा,
प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा।

2. जब वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र पर रखी हो
प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र पर,
आकार वस्तु के बराबर,
प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा।

3. जब वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र तथा फोकस के – बीच में रखी हो में,
प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र तथा अनन्त के बीच
आकार वस्तु से बड़ा (आवर्धित)
प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा।

4. जब वस्तु दर्पण के ध्रुव व उसके फोकस के बीच में रखी हो
प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्पण के पीछे,
आकार वस्तु से बड़ा,
प्रकृति आभासी व सीधा।

प्रश्न 5.
संयुग्मी फोकस किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संयुग्मी फोकस Conjugate Focus उन दो बिन्दुओं को संयुग्मी फोकस कहते हैं जिनमें से एक बिन्दु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दूसरे बिन्दु पर बनता है अर्थात् वस्तु तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति को आपस में बदला जा सके। यदि कोई वस्तु उत्तल दर्पण के सामने रखी है तब उसका प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है तथा आभासी होता है, अतः प्रतिबिम्ब के स्थान पर वस्तु रखने से परावर्तन नहीं होगा। इसका यह अर्थ हुआ कि संयुग्मी फोकस केवल अवतल दर्पण में ही सम्भव है, उत्तल दर्पण में नहीं।

प्रश्न 6.
15 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 30 सेमी की दूरी पर 2 सेमी लम्बाई की एक वस्तु रखी है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति, आकार तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए
हल:
प्रश्नानुसार f = -15 सेमी (अवतल दर्पण), u = – 30 सेमी, O = 2 सेमी, υ = ?, I = ?
दर्पण के सूत्र,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

1−15\frac {1}{-15}

−151​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

130\frac {1}{30}

301​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

130\frac {1}{30}

301​ –

115\frac {1}{15}

151​ =

1–230\frac {1 – 2}{30}

301–2​ =

−130\frac {-1}{30}

30−1​
∴ υ = -30 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने 30 सेमी की दूरी पर बनेगा।

IO\frac {I}{O}

OI​ =

υu\frac {υ}{u}

uυ​
∴

I2\frac {I}{2}

2I​ = –

−30−30\frac {-30}{-30}

−30−30​ = -1
I = -2 सेमी
∴ प्रतिबिम्ब की लम्बाई 2 सेमी होगी तथा यह वास्तविक व उल्टा होगा।

प्रश्न 7.
एक अवतल दर्पण के सामने 10 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब 30 सेमी दूर बनता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है : दर्पण से वस्तु की दूरी (u) = – 10 सेमी
दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = – 30 सेमी,
फोकस दूरी (f) = ?
दर्पण के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

Iυ\frac {I}{υ}

υI​ +

Iu\frac {I}{u}

uI​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1(−30)\frac {1}{(-30)}

(−30)1​ +

1(−10)\frac {1}{(-10)}

(−10)1​ = –

130\frac {1}{30}

301​ –

110\frac {1}{10}

101​ = –

430\frac {4}{30}

304​
f = –

304\frac {30}{4}

430​ = -7.5 सेमी
अत: अवतल दर्पण की फोकस दूरी (f) = 7.5 सेमी।

प्रश्न 8.
एक उत्तल दर्पण से 25 सेमी दूर रखी एक वस्तु के प्रतिबिम्ब की लम्बाई वस्तु की लम्बाई की आधी होती है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। (2014)
हल:
दिया है, दर्पण से वस्तु की दूरी u = -25 सेमी
∴ उत्तल दर्पण से सीधा तथा आभासी प्रतिबिम्ब बनता है; अत: रेखीय आवर्धन m =

12\frac {1}{2}

21​
सूत्र m = –

υu\frac {υ}{u}

uυ​ से,

12\frac {1}{2}

21​ =

u−25\frac {u}{-25}

−25u​ =

u25\frac {u}{25}

25u​
u =

252\frac {25}{2}

225​ = 12.5 सेमी
दर्पण सूत्र

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ =

1f\frac {1}{f}

f1​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

112.5\frac {1}{12.5}

12.51​ +

1−25\frac {1}{-25}

−251​

1f\frac {1}{f}

f1​ =

225\frac {2}{25}

252​ –

125\frac {1}{25}

251​=

2−125\frac {2-1}{25}

252−1​ =

125\frac {1}{25}

251​
अतः उत्तल दर्पण की फोकस दूरी f = 25 सेमी

प्रश्न 9.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। एक वस्तु को दर्पण के सम्मुख कहाँ रखा जाए कि वस्तु के आधे आकार का प्रतिबिम्ब बने?
हल:
दिया है : फोकस दूरी (f) = 10 सेमी,
आवर्धन (m) =

12\frac {1}{2}

21​,
माना वस्तु को दर्पण के सम्मुख u दूरी पर रखा जाए। तब
आवर्धन के सूत्र, m =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ से,

12\frac {1}{2}

21​ = –

uu\frac {u}{u}

uu​
u = –

u2\frac {u}{2}

2u​ सेमी
दर्पण के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

110\frac {1}{10}

101​ =

2u\frac {2}{u}

u2​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ =

1u\frac {1}{u}

u1​ = –

1u\frac {1}{u}

u1​ = – 10 सेमी
अत: वस्तु को उत्तल दर्पण के सम्मुख 10 सेमी दूर रखा जाए।

प्रश्न 10.
एक अवतल दर्पण की वक्रता-त्रिज्या 40 सेमी अर्थात् फोकस दूरी 20 सेमी है। दर्पण से 30 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। क्या यह वास्तविक होगा?
(2011, 12, 13)
हल:
दिया है: अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या, = -40 सेमी,
फोकस दूरी (f) =


दर्पण से वस्तु की दूरी (u) = -30
सेमी, दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
दर्पण के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​से,
अथवा –

120\frac {1}{20}

201​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

130\frac {1}{30}

301​
अतः

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ = –

120\frac {1}{20}

201​ +

130\frac {1}{30}

301​ = –

160\frac {1}{60}

601​
υ = -60 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब अवतल दर्पण से 60 सेमी की दूरी पर वस्तु की ओर, उल्टा व वास्तविक बनेगा।

प्रश्न 11.
एक 15 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण से कितनी दूरी पर एक वस्तु रखी जाये कि उसका 5 गुना बड़ा वास्तविक प्रतिबिम्ब बने? प्रतिबिम्ब की स्थिति भी ज्ञात कीजिए। (2016)
हल:
दिया है, अवतल दर्पण की फोकस दूरी, f = – 15 सेमी, आवर्धन m = 5
वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए आवर्धन ऋणात्मक होगा। m =-

υu\frac {υ}{u}

uυ​ = -5 ⇒ υ = 5u
सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ से

1−15\frac {1}{-15}

−151​ =

15u\frac {1}{5u}

5u1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ या

1+55u\frac {1+5}{5u}

5u1+5​ = –

115\frac {1}{15}

151​
या 5u = -90 ⇒  u = -18 सेमी तथा υ = 5u = -90 सेमी
अतः स्पष्ट है कि वस्तु दर्पण के सामने 18 सेमी की दूरी पर रखी जाये। इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने 90 सेमी की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 12.
प्रकाश के अपवर्तन के नियमों का उल्लेख कीजिए। (2013, 15)
या स्नैल का अपवर्तन सम्बन्धी नियम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश के अपवर्तन के निम्नलिखित दो नियम हैं –
1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन-बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
2. किन्हीं दो माध्यमों के लिए तथा एक ही रंग के प्रकाश के लिए, आपतन कोण की ज्या (sine)
तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है। यदि आपतन कोण i तथा अपवर्तन कोण r है तो

इस नियम को ‘स्नैल का नियम’ (Snell’s law) भी कहते हैं।

प्रश्न 13.
किसी माध्यम के अपवर्तनांक से क्या तात्पर्य है ? (2017)
उत्तर:
यदि प्रकाश का अपवर्तन निर्वात से किसी माध्यम में होता है, तब आपतन कोण के sine तथा अपवर्तन कोण के sine के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसे n से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 14.
वायु के सापेक्ष किसी द्रव का क्रान्तिक कोण 45° है। उस द्रव का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (2012, 13, 14, 16, 18)
हल:
वायु के सापेक्ष द्रव का अपवर्तनांक =

1sinC\frac {1}{ sin C}

sinC1​
जहाँ C वायु के सापेक्ष द्रव का क्रान्तिक कोण है।

1sin45°\frac {1}{sin 45°}

sin45°1​ =

11/2\frac{1}{1 / \sqrt{2}}

1/2​1​ =

2\sqrt{2}

2​

प्रश्न 15.
यदि 1.5 अपवर्तनांक वाले काँच के प्रिज्म का कोण 60° है, तो प्रिज्म के अल्पतम विचलन कोण का मान क्या होगा? (sin 49° = 0.75) (2016)
हल:
दिया है, प्रिज्य कोण A = 60°,
काँच का अपवर्तनांक, n =1.5, 6m = ?
सूत्र प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक

अत: प्रिज्य का अल्पतम विचलन कोण = 38°

प्रश्न 16.
लेंस के प्रथम फोकस एवं द्वितीय फोकस की परिभाषा दीजिए। एक उत्तल लेंस द्वारा किसी वस्तु के प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख खींचिए, जब वस्तु2F पर रखी हो। (2017, 18)
उत्तर:
प्रथम फोकस: लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे चलकर आने वाली किरणें (उत्तल लेंस में) या जिसकी ओर चलकर आने वाली किरणें (अवतल लेंस में) अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं लेंस का प्रथम फोकस कहलाता है।
द्वितीय फोकस: मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु पर मिलती हैं (उत्तल लेंस) अथवा मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से निकलती हुई प्रतीत होती हैं (अवतल लेंस) वह बिन्दु लेंस का द्वितीय फोकस कहलाता है।

प्रश्न 17.
एक उत्तल लेंस के सामने उसके प्रकाशिक केन्द्र और फोकस के बीच एक वस्तु रखी है। किरण आरेख खींचकर प्रतिबिम्ब का बनना दर्शाइए। प्रतिबिम्ब की प्रकृति भी बताइए। (2013, 16, 17)
उत्तर:
वस्तु लेंस के सामने उसके प्रकाशिक केन्द्र और फोकस के बीच में है (देखें चित्र)-बिन्दु O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर किरण O’ A, लेंस से निकलकर AF दिशा में जाती है तथा दूसरी किरण O’C सीधी निकल जाती है। ये दोनों किरणें पीछे बढ़ाने पर I’ पर मिलती हैं। अत: I’ बिन्दु O’ का आभासी प्रतिबिम्ब है। I’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब II’, वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिम्ब है। यह प्रतिबिम्ब लेंस के उसी ओर बनता है तथा आभासी, सीधा व वस्तु से बड़ा है।

प्रश्न 18.
उत्तल लेंस के फोकस पर स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब का बनना आरेख खींचकर दर्शाइए। बने हुए प्रतिबम्ब की प्रकृति एवं स्थिति भी लिखिए। (2014)
उत्तर:
वस्तु प्रथम फोकस F’ पर है (चित्र)-O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरण O’A, अपवर्तन के पश्चात् द्वितीय फोकस F से होकर जाती है। दूसरी किरण O’C जो प्रकाशिक-केन्द्र C में को गुजरती है, सीधी चली जाती है। दोनों निर्गत किरणें आपस में समान्तर हैं, अतः अनन्तता पर मिलेंगी। स्पष्ट है कि प्रतिबिम्ब अनन्तता पर, वास्तविक, उल्टा व वस्तु से बड़ा होगा।

प्रश्न 19.
15 सेमी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस से 30 सेमी की दूरी पर स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं दूरी ज्ञात कीजिए। (2016, 17)
हल:
दिया है, f = 15 सेमी, u=-30 सेमी, υ = ?
लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

115\frac {1}{15}

151​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1−30\frac {1}{-30}

−301​
या

115\frac {1}{15}

151​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

130\frac {1}{30}

301​
या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

115\frac {1}{15}

151​ –

130\frac {1}{30}

301​ =

130\frac {1}{30}

301​
⇒ υ = 30 सेमी
∴ प्रतिबिम्ब की स्थिति लेंस के दूसरी ओर लेंस से 30 सेमी की दूरी पर होगी
तथा प्रतिबिम्ब की वस्तु से दूरी = 30 + 30 = 60 सेमी

प्रश्न 20.
10 सेमी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस से 20 सेमी दूर 10 सेमी लम्बी एक मोमबत्ती रखी गयी है। लेंस से बने मोमबत्ती के प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति तथा लम्बाई ज्ञात कीजिए। (2013, 14, 17, 18)
हल:
दिया है, u=-20 सेमी, f = 10 सेमी, υ = ?
लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

110\frac {1}{10}

101​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1−20\frac {1}{-20}

−201​=

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

120\frac {1}{20}

201​
या

1u\frac {1}{u}

u1​ =

110\frac {1}{10}

101​ –

120\frac {1}{20}

201​ =

120\frac {1}{20}

201​ या υ = 2.0 सेमी
चूँकि υ का मान धनात्मक है, अतः प्रतिबिम्ब लेंस से 20 सेमी की दूरी पर लेंस के दूसरी ओर बनेगा।
आवर्धन, m =

IO\frac {I}{O}

OI​ =

υu\frac {υ}{u}

uυ​
∴

I10\frac {I}{10}

10I​ =

20−20\frac {20}{-20}

−2020​.
या  I = -1 x 10 = -10 सेमी
∴ प्रतिबिम्ब 10 सेमी लम्बा तथा उल्टा बनेगा व वास्तविक होगा।

प्रश्न 21.
20 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल लेंस के सामने लेंस से 30 सेमी दूर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। (2011, 13)
हल:
दिया है, लेंस की फोकस दूरी f = – 20 सेमी, लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -30 सेमी तथा लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

1−20\frac {1}{-20}

−201​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1−30\frac {1}{-30}

−301​
या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

130\frac {1}{30}

301​ –

120\frac {1}{20}

201​
या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

2−360\frac {2-3}{60}

602−3​ =

−160\frac {-1}{60}

60−1​
या υ = 60 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर ही लेंस से 60 सेमी की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 22.
एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 50 सेमी है। किसी वस्तु के दो गुना वास्तविक प्रतिबिम्ब को प्राप्त करने के लिए उसे लेंस से कितनी दूर रखना होगा? (2012, 14, 18)
हल:
दिया है, उत्तल लेंस की फोकस दूरी = 50 सेमी
प्रतिबिम्ब वास्तविक है, अत: आवर्धन ऋणात्मक होगा।
आवर्धन m =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ = -2
अथवा υ = -2u,
लेंस के सूत्र,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ = –

12u\frac {1}{2u}

2u1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ = –

32u\frac {3}{2u}

2u3​
अतः वस्तु की स्थिति (u) =

32\frac {3}{2}

23​ x 50 =-75 सेमी
अत: वस्तु को लेंस से 75 सेमी की दूरी पर रखना चाहिए।

प्रश्न 23.
एक उत्तल लेंस से 15 सेमी दूर रखी वस्तु का दोगुना बड़ा वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। (2016)
हल:
दिया है, उत्तल लेंस से वस्तु की दूरी, u = -15 सेमी
चूँकि प्रतिबिम्ब वास्तविक है, अत: आवर्धन ऋणात्मक होगा।
आवर्धन m =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ = -2 या υ = -2u
υ = -2 x (-15) = 30 सेमी
लेंस के सूत्र,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

130\frac {1}{30}

301​ –

1−15\frac {1}{-15}

−151​=

130\frac {1}{30}

301​ =

115\frac {1}{15}

151​ –

330\frac {3}{30}

303​
f =

330\frac {3}{30}

303​ = 10 सेमी
अतः लेंस की फोकस दूरी 10 सेमी है।

प्रश्न 24.
उत्तल लेंस से 30 सेमी दूर स्थित एक वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब 20 सेमी दूर बनता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। स्वच्छ किरण आरेख भी खींचिए। (2015, 16)
हल:
दिया है, u = -30 सेमी, υ = 20 सेमी, फोकस दूरी f = ?
लेंस के सूत्र =

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

120\frac {1}{20}

201​ – (

130\frac {1}{30}

301​) =

120\frac {1}{20}

201​ =

130\frac {1}{30}

301​ –

3+260\frac {3 + 2}{60}

603+2​ या f =

605\frac {60}{5}

560​ = 12 सेमी
लेंस की फोकस दूरी 12 सेमी है।
किरण आरेख इस प्रकार होगा –

प्रश्न 25.
5 सेमी ऊँचाई की एक वस्तु 25 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल लेंस से 50 सेमी की दूरी पर रखी है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की ऊँचाई एवं स्थिति ज्ञात कीजिए। (2015)
हल:
दिया है, लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -50 सेमी,
लेंस की फोकस दूरी (f) = -25 सेमी,
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
लेंस के सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ से,
–

125\frac {1}{25}

251​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1−50\frac {1}{-50}

−501​ या

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ = –

125\frac {1}{25}

251​ –

150\frac {1}{50}

501​ = –

350\frac {3}{50}

503​
अत: υ = -50/3 = -16.67 सेमी
अत: प्रतिबिम्ब वस्तु की ही ओर, लेंस से 16.67 सेमी दूरी पर बनेगा।
आवर्धन के सूत्र (m) =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ =

IO\frac {I}{O}

OI​ से

या I =

13\frac {1}{3}

31​ x 5 = 1.67 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब का. आकार I = 1.67 सेमी तथा यह सीधा होगा।

प्रश्न 26.
उत्तल लेंस से 0.15 मीटर दूरी पर स्थित वस्त का प्रतिबिम्ब दूसरी ओर 0.60 मीटर दूरी पर बन रहा है। यदि वस्तु की लम्बाई 0.15 मीटर हो तो प्रतिबिम्ब की लम्बाई क्या होगी?
(2013)
हल:
दिया है: लेंस से वस्तु की दूरी (u) = – 0.15 मीटर,
वस्तु का आकार (O) = 0.15 मीटर,
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = 0.60 मीटर,
प्रतिबिम्ब का आकार (I) = ?
आवर्धन के सूत्र m =

IO\frac {I}{O}

OI​ =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ से,

I0.15\frac {I}{0.15}

0.15I​ =

0.60−0.15\frac {0.60}{- 0.15}

−0.150.60​
अथवा प्रतिबिम्ब की लम्बाई (I) =

0.60x0.150.15\frac {0.60 x 0.15}{0.15}

0.150.60x0.15​ = 0.60 मीटर
अर्थात् प्रतिबिम्ब 0.60 मीटर लम्बा, उल्टा व वास्तविक बनेगा।

प्रश्न 27.
एक वस्तु का उत्तल लेंस द्वारा किसी पर्दे पर प्रतिबिम्ब 3 गुना बड़ा बनता है। यदि वस्तु और पर्दे की स्थितियाँ बदल दी जायें तो उस दशा में आवर्धन कितना होगा? (2017)
हल:
हम जानते हैं कि आवर्धन (m) = υ/u
प्रश्नानुसार, 3=υ/u ⇒  υ = 3u
वस्तु तथा पर्दे की स्थितियाँ बदलने पर,
आवर्धन (m) =

uυ\frac {u}{υ}

υu​ =

u3u\frac {u}{3u}

3uu​ =

13\frac {1}{3}

31​

प्रश्न 28.
एक उत्तल लेंस की मुख्य अक्ष पर प्रकाशिक केन्द्र से 36 सेमी दूरी पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब प्रकाशिक केन्द्र से उतनी ही दूरी पर दूसरी ओर बनता है। लेंस की फोकस दूरी तथा रेखीय आवर्धन ज्ञात कीजिए। (2017)
हल:
प्रश्नानुसार u=-36 सेमी, υ = 36 सेमी f = ? तथा m = ?
लेंस के लिए सूत्र,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​से,

1f\frac {1}{f}

f1​ =

136\frac {1}{36}

361​ – (

136\frac {1}{36}

361​) =

136\frac {1}{36}

361​ +

136\frac {1}{36}

361​ =

236\frac {2}{36}

362​
∴ f =

362\frac {36}{2}

236​ = 18 सेमी
तथा रेखीय आवर्धन, m =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ =

36−36\frac {36}{-36}

−3636​ = -1

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी गोलीय दर्पण (अवतल दर्पण) के लिए सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ का निगमन कीजिए।जहाँ संकेतों का सामान्य अर्थ है। (2012, 13)
या अवतल दर्पण के लिए u, υ तथा में सम्बन्ध लिखिए। (2012, 18)
उत्तर:
माना कि M1M2 एक अवतल दर्पण है जिसका ध्रुव P है, फोकस F है तथा वक्रता केन्द्र C है (देखें चित्र)। इसकी मुख्य अक्ष के किसी बिन्दु पर एक वस्तु AB रखी है। वस्तु के सिरे A से मुख्य अक्ष के. समान्तर चलने वाली आपतित किरण AM दर्पण के बिन्दु M से टकराती है। परावर्तन के पश्चात् यह किरण दर्पण के फोकस F से होकर गुजरती है। दूसरी किरण AO दर्पण के वक्रता केन्द्र C से होकर जाती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से वापस लौट जाती है। दोनों परावर्तित किरणें A’ बिन्दु पर काटती हैं।

इस बिन्दु A’ से मुख्य अक्ष पर डाला गया लम्ब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिम्ब है। अब माना कि वस्तु AB की दर्पण के ध्रुव से दूरी PB = -1, प्रतिबिम्ब A’B’ की दूरी PB’ = – υ, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या PC = – R तथा दर्पण की फोकस दूरी PF = – f है। (ये सभी दूरियाँ चूंकि आपतित किरण के चलने की दिशा के विपरीत दिशा में नापी जाती हैं अर्थात् दर्पण के बायीं ओर हैं; अत: चिह्न परिपाटी के अनुसार ये दूरियाँ ऋणात्मक हैं )।

त्रिभुज ABC तथा त्रिभुज A’B’C समकोणिक हैं।
अतः

ABA’B’\frac {AB}{A’B’}

A’B’AB​ =

CBB’C\frac {CB}{B’C}

B’CCB​ …..(i)
इसी प्रकार, त्रिभुज A’ B’ F तथा त्रिभुज MNF भी समकोणिक हैं।
–

MNA’B’\frac {MN}{A’B’}

A’B’MN​ =

NFFB’\frac {NF}{FB’}

FB’NF​ …..(ii)

परन्तु MN = AB है,
अतः

ABA’B’\frac {AB}{A’B’}

A’B’AB​ =

NFFB’\frac {NF}{FB’}

FB’NF​ …..(iii)
समीकरण (i) व (iii) की तुलना करने पर,

CBB’C\frac {CB}{B’C}

B’CCB​ =

NFFB’\frac {NF}{FB’}

FB’NF​ …..(iv)

माना कि दर्पण पर बिन्दु M, ध्रुव P के बहुत समीप है, तब N व P बिन्दु अत्यन्त निकट होंगे।
उस स्थिति में, NF = PF (लगभग)
यह मान समीकरण (iv) में रखने पर,

CBB’C\frac {CB}{B’C}

B’CCB​=

PFFB’\frac {PF}{FB’}

FB’PF​
अथवा

PB−PCPC−PB’\frac {PB-PC}{PC-PB’}

PC−PB’PB−PC​ =

PFPB’–PF\frac {PF}{PB’ – PF}

PB’–PFPF​
चिह्न सहित मान रखने पर,

−u–(−R)−R–(−υ)\frac {-u – (-R)}{-R – (-υ) }

−R–(−υ)−u–(−R)​ =

−f−υ–(−f\frac {-f}{-υ – (-f}

−υ–(−f−f​
परन्तु R = 2f, अत:

−u+2f−2f+υ\frac {-u + 2f}{-2f + υ}

−2f+υ−u+2f​ =

−f−υ+f\frac {-f}{-υ + f}

−υ+f−f​
या (-u+2f) (-υ + f) = -f(-2f + υ)
या uυ – uf – 2 fυ + 252 = 2F2 – fy
या uυ – uf – fy = 0
या uf + fy = uυ
दोनों ओर urf से भाग करने पर,

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ –

1f\frac {1}{f}

f1​
यही सूत्र अवतल दर्पण के लिए फोकस दूरी तथा दर्पण से वस्तु और प्रतिबिम्ब की दूरियों में सम्बन्ध का सूत्र है।

प्रश्न 2.
उत्तल दर्पण के लिए सूत्र

1f\frac {1}{f}

f1​ =

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1u\frac {1}{u}

u1​ का निगमन कीजिए, जहाँ संकेतों के समान्य अर्थ हैं। (2013, 16)
हल:
उत्तल दर्पण के लिए u, तथा f में सम्बन्ध माना, M1M2 एक उत्तल दर्पण है जिसका ध्रुव P, फोकस F तथा वक्रता केन्द्र C है। इसकी मुख्य अक्ष पर कोई वस्तु AB रखी है। वस्तु के सिरे B से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली आपतित किरण BD, दर्पण के बिन्दु D पर गिरती है। परावर्तन के पश्चात् यह किरण दर्पण के फोकस F से आती प्रतीत होती है।

दूसरी किरण BI, वक्रता-केन्द्र की सीध में दर्पण पर आपतित होती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग में लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणे B’ से आती हुई प्रतीत होती हैं जो कि B का प्रतिबिम्ब है। B’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लम्ब A’B’ ही वस्तु AB का आभासी प्रतिबिम्ब है। यह प्रतिबिम्ब फोकस तथा ध्रुव के बीच में है (देखें चित्र)।

माना, दर्पण के ध्रुव P से, वस्तु की दूरी PA = -u, प्रतिबिम्ब की दूरी PA’ = + υ, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या PC =r तथा दर्पण की फोकस दूरी PF = f है। बिन्दु D से मुख्य अक्ष पर अभिलम्ब DN है।
ΔABC तथा ΔCB’A’ समकोणिक हैं।

ABA’B’\frac {AB}{A’B’}

A’B’AB​ =

CAA’C\frac {CA}{A’C}

A’CCA​ ……..(i)
इसी प्रकार, ΔA’B’F तथा ΔNDF समकोणिक हैं।

NDA’B’\frac {ND}{A’B’}

A’B’ND​ =

NFA’F\frac {NF}{A’F}

A’FNF​
परन्तु DN = AB

ABA’B’\frac {AB}{A’B’}

A’B’AB​ =

NFA’F\frac {NF}{A’F}

A’FNF​ ……….(ii)
A’B’ AF समीकरण (i) व समीकरण (ii) से,

CAA’C\frac {CA}{A’C}

A’CCA​ =

NFA’F\frac {NF}{A’F}

A’FNF​
माना, बिन्दु D दर्पण के ध्रुव P के बहुत समीप है। तब NF = PF (लगभग)

CAA’C\frac {CA}{A’C}

A’CCA​ =

PFA’F\frac {PF}{A’F}

A’FPF​
अथवा

PC+PAPC–PA\frac {PC + PA}{PC – PA}

PC–PAPC+PA​ =

PFPF–PA’\frac {PF}{PF – PA’}

PF–PA’PF​
इस समीकरण में चिह्न सहित मान रखने पर,

r–ur–υ\frac {r – u}{r – υ}

r–υr–u​ =

ff–C\frac {f}{f – C}

f–Cf​

+2f–u2f–υ\frac {+2f – u}{2f – υ}

2f–υ+2f–u​ =

ff–υ\frac {f}{f – υ}

f–υf​
अथवा f (2f – υ) = (f – υ) (2f – u)
अथवा 2f2 – υf = 2f2 – uf – 2uf + uυ
υf + uf = uw
दोनों ओर uυf से भाग देने पर,

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ –

1f\frac {1}{f}

f1​
वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा व वस्तु से छोटा तथा दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच बनता है।

प्रश्न 3.
रेखीय आवर्धन किसे कहते हैं ? गोलीय दर्पण में बने प्रतिबिम्ब के रेखीय आवर्धन के लिए सूत्र m = –

υu\frac {υ}{u}

uυ​ स्थापित कीजिए। (2014)
उत्तर:
रेखीय आवर्धन प्रतिबिम्ब की लम्बाई तथा वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन (m) कहते हैं जबकि दोनों लम्बाइयाँ मुख्य अक्ष के लम्बवत् नापी गई हों। चूँकि मुख्य अक्ष के ऊपर की दूरियाँ धनात्मक तथा नीचे की दूरियाँ ऋणात्मक ली जाती हैं, अतः सीधे प्रतिबिम्बों के लिये आवर्धन धनात्मक तथा उल्टे प्रतिबिम्बों के लिये ऋणात्मक होता है। आवर्धन के लिये सूत्र माना कि M1,M2, (देखें चित्र) एक ० अवतल दर्पण है। इसका ध्रुव P, मुख्य फोकस F तथा वक्रता-केन्द्र C है। इसकी मुख्य अक्ष पर एक वस्तु OO’ रखी है जिसका उल्टा – तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब II’ बनता है। अत: वस्तु की नोंक O’ से चलने वाली किरण O’ P, परावर्तन के पश्चात् प्रतिबिम्ब की नोंक I’ से होकर जायेगी। चूँकि अक्ष PO, दर्पण के बिन्दु P पर अभिलम्ब है, अत: ZO’ PO आपतन कोण तथा ∠OPI’ परावर्तन कोण होगा।

अब ∠O’ PO = ∠OPI’ (परावर्तन का नियम)
∠POO’ = ∠PII’ (समकोण है)
अत: ΔOO’ P तथा ΔII’ P समकोणिक हैं।

II’OO’\frac {II’}{OO’}

OO’II’​ =

PIPO\frac {PI}{PO}

POPI​
माना कि II’ =-y2,OO’ = + y1, PI = -υ तथा PO =-u (चिह्न परिपाटी के अनुसार y1 धनात्मक और u, υ तथा y2 ऋणात्मक हैं)। तब

−y2y1=−υ−u\frac{-y_{2}}{y_{1}}=\frac{-υ}{-u}

y1​−y2​​=−u−υ​
अत: आवर्धन m =

y2y1=−υu\frac{y_{2}}{y_{1}}=-\frac{υ}{u}

y1​y2​​=−uυ​
उत्तल दर्पण के लिए भी आवर्धन का यही सूत्र होगा।

प्रश्न 4.
प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन का अर्थ समझाइए। क्रान्तिक कोण तथा अपवर्तनांक के बीच सम्बन्ध का व्यंजक भी स्थापित कीजिए। (2016, 17)
या पूर्ण आन्तरिक परावर्तन को उदाहरण सहित समझाइए। (2012, 13)
उत्तर:
जब कोई प्रकाश की किरण OA (देखें चित्र (a))किसी सघन माध्यम (जैसे काँच) से विरल माध्यम (जैसे वायु) में जाती है तो इसका एक छोटा भाग AC परावर्तित हो जाता है तथा अधिकांश भाग AB अपवर्तित हो जाता है। अपवर्तित किरण AB, अभिलम्ब से दूर हटती है। इस दशा में अपवर्तन कोण (r) आपतन कोण (i) से बड़ा होता है।

अब यदि आपतन कोण का मान धीरे-धीरे बढ़ाते जाएँ तो अपवर्तन कोण भी बढ़ता जाता है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए अपवर्तन कोण 90° हो जाता है (देखें चित्र (b))। इस आपतन कोण को ‘क्रान्तिक कोण’ कहते हैं तथा C से प्रदर्शित करते हैं। अत: क्रान्तिक कोण C, सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण है जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° होता है।

अब यदि आपतन कोण को और बढ़ाएँ अर्थात्, आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से थोड़ा-सा अधिक कर दें तो प्रकाश विरल माध्यम में बिल्कुल नहीं जाता, बल्कि ‘सम्पूर्ण’ प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही लौट आता है [देखें चित्र (c)]। इस घटना को प्रकाश का ‘पूर्ण आन्तरिक परावर्तन’ कहते हैं क्योंकि इसमें प्रकाश का अपवर्तन बिल्कुल नहीं होता; सम्पूर्ण आपतित प्रकाश परावर्तित हो जाता है। किसी पृष्ठ के जिस भाग से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है, वह भाग बहुत चमकने लगता है। इस प्रकार पूर्ण परावर्तन केवल तब ही सम्भव है जबकि निम्नलिखित दो शर्त परी हों

  1. प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रहा हो।
  2. आपतन कोण क्रान्तिक कोण से बड़ा हो।

अपवर्तनांक तथा क्रान्तिक कोण में सम्बन्ध यदि विरल माध्यम को 1 से तथा सघन माध्यम को 2 से प्रदर्शित करें तो स्नैल के नियमानुसार सघन माध्यम के सापेक्ष विरल माध्यम का अपवर्तनांक –
2n1 =

sinisinr\frac {sini}{sinr}

sinrsini​
जब आपतन कोण i = क्रान्तिक कोण C, तब अपवर्तन कोण r = 90°
2n1 =

sinCsin90°\frac {sinC}{sin90°}

sin90°sinC​ = sin C [:: sin 90° = 1]
परन्तु 1n2 =

11n2\frac{1}{{ }_{1} n_{2}}

1​n2​1​ जहाँ 1n2विरल माध्यम के सापेक्ष सघन माध्यम का अपवर्तनांक है।

11n2\frac{1}{{ }_{1} n_{2}}

1​n2​1​ = sin C अथवा 1n2 =

1sinC\frac {1}{sinC}

sinC1​
उगहरणार्थ, यदि प्रकाश काँच से वायु में जा रहा हो तो वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
ang =

1sinC\frac {1}{sinC}

sinC1​

प्रश्न 5.
एक उत्तल लेंस से 5 सेमी की दूरी पर स्थित एक वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर, वस्त से दो गुना बड़ा बनता है। यदि वस्तु को उसी लेंस से 15 सेमी की दूरी पर रखा
जाए, तो उसके प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा आवर्धन ज्ञात कीजिए। (2014, 15)
हल:
क्योंकि प्रतिबिम्ब लेंस के उसी ओर बनता है; अत: यह सीधा होगा तथा इसका आवर्धन
धनात्मक होगा।
आवर्धन m =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ = +2 या υ = 2u
:: दिया है : लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -5 सेमी,
अतः लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = 2 x (-5) = -10 सेमी, फोकस दूरी (f) = ?
लेंस के सूत्र

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ –

1f\frac {1}{f}

f1​से.

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

1−10\frac {1}{-10}

−101​ –

1−5\frac {1}{-5}

−51​ =

110\frac {1}{10}

101​ +

15\frac {1}{5}

51​ –

110\frac {1}{10}

101​
अतः f = + 10 सेमी

दूसरी स्थिति में, लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -15 सेमी,
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
लेंस के सूत्र

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ +

1u\frac {1}{u}

u1​ –

1f\frac {1}{f}

f1​से

110\frac {1}{10}

101​ +

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ –

1−15\frac {1}{-15}

−151​

1υ\frac {1}{υ}

υ1​ =

110\frac {1}{10}

101​ –

15\frac {1}{5}

51​ =

130\frac {1}{30}

301​
अतः υ = + 30 सेमी
अतः आवर्धन m =

υu\frac {υ}{u}

uυ​ =

30−15\frac {30}{-15}

−1530​